मालनपुर नगर परिषद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को लेकर भाजपा में गुटबंदी

भिण्ड, 04 अगस्त। नगर परिषद के चुनाव की घोषणा के बाद अब नेताओं ने मालनपुर नगर परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की लड़ाई प्रारंभ कर दी है, जो भाजपा की गुट बंदी के चलते खींचतान प्रारंभ है। पूर्वमंत्री लालसिंह आर्य एवं मंत्री दर्जा प्राप्त रणवीर जाटव के बीच आपसी मुकाबला दिखाई दे रहा है, इस नगर परिषद में कुल 15 पार्षद निर्वाचित हुए हैं, जिसमें भाजपा के सात पार्षद एवं छह पार्षद निर्दलीय विजई हुए हैं। कांग्रेस पार्टी मात्र दो वार्डों में अपने प्रत्याशी जिता सकी, जो अध्यक्ष पद का ख्वाब देखने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। अगर गुट बंदी भाजपा में है तो कांग्रेसी भी पीछे नहीं रही। इस नगरीय निकाय चुनाव में अगर निर्दलीय पार्षदों को मिलाकर अपने दो पार्षदों के सहयोग से नगर परिषद पर कब्जा कर सकते थे, परंतु कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी अध्यक्ष के दावेदार मात्र दो वार्डों में घिरे रहे, किसी कार्यकर्ता को पूछा तक नहीं और भाजपा से मिलकर रायशुमारी चलती रही। इसका परिणाम भाजपा ने अपने सात वार्डों में जीत हांसिल की। कांग्रेस गुटबंदी का शिकार बनी।
यही हाल भाजपा के दो बड़े नेताओं में राजनीति प्रतिबद्धता दिखाई दे रही है। जिसमें मंत्री दर्जा प्राप्त रणवीर जाटव अपना अध्यक्ष बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, जो निर्दलीय पार्षद एवं कांग्रेस के समर्थक एवं भाजपा के दो पार्षद मिलाकर अपना दावा नौ पार्षदों का अपने साथ होना बता रहे हैं। पूर्वमंत्री लाल सिंह आर्य की तरफ से पूर्व में ही अपना बहुमत लिए बैठे हैं, उनकी पार्टी द्वारा वार्ड क्र.11 से विजयी रामश्री-मुकेश जाटव को अध्यक्ष बनाए जाने का पूर्ण समर्थन है, पार्टी के सात पार्षद एवं पांच निर्दलियों का साथ होना बता रहे हैं, जो कुछ पार्षद जिले से बाहर 12 दिन से घूम रहे हैं।
अब देखना है कि 10 अगस्त को 11 बजे ऊंट किस करवट बैठता है। दो मंत्री के बीच में भाजपा नेताओं के इस राजनीतिक द्वंद में कौन बाजी मारता है। आगे आने वाले 10 अगस्त को ही इसका पार्षदों द्वारा निर्णय किया जाएगा। चर्चा तो यह भी है कि पार्षदों की खरीद फरोख्त भी खूब चल रही है, अपनी-अपनी प्रतिष्ठा दाव पर लगा कर राजनीति खूब चल रही है, जो चर्चा का विषय है। परंतु आज आर्य समर्थन का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है, अगर पार्षदों ने भितरघात नहीं की तो और उपाध्यक्ष पर अगर बात नहीं बनी तो भाजपा में भितरघात भी हो सकता है, जिसका का डर भाजपा को सता रहा है।