आदमी के कर्म अगर अच्छे हों तो किस्मत उसके चरणों की दासी बन जाती है : विनय सागर

मुनिश्री की गुरुभक्तों ने की आगवानी

ग्वालियर, 27 जून। हमेशा विश्वास रखिए सबसे अच्छा दिन आज है, सबसे अच्छा समय अभी है, सबसे बुरा दिन कभी नहीं है। खुशियों से भरा हुआ एक लम्हा किसी खजाने से कम नहीं है। गम से भरा हुआ एक दिन एक अंधकूप से कम नहीं है। जिंदगी जीने का मकसद होना चाहिए। अपने आप पर भरोसा होना चाहिए जीवन में खुशियों की कमी नहीं है। बस कमी है तो उन्हें मनाने के सही अंदाज की। दु:ख में से भी सुख खोजा जा सकता है, अगर सोचने का तरीका सही हो और सुख में से भी दुख हो सकता है अगर जीने का तरीका गलत हो। हमें दुनिया को बदलने की फिक्र नहीं करना चाहिए, हमें अपने आप को बदलने की कोशिश करना चाहिए। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने सोमवार को माधौगंज स्थित लक्कडख़ाने में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि आप धैर्यशील बनें, कोई दो कड़वे शब्द कह दे तो क्रोधित ना हों, टेंशन ना पालें, क्योंकि पत्थर उसी पेड़ को मारे जाते हैं जिस पर मीठे फल लगते हैं। आपके अंदर कुछ तो खास है, इसलिए तो दुनिया की नजर आपके ऊपर है, इसीलिए तो आप के कार्यों की निंदा और आलोचना हो रही है। किसी के बुरा कहने पर आप अपने आपको बुरा कभी ना मानें, जब आपका मन आपको गिल्टी न माने। दिमाग झूठ बोल सकता है, मगर दिल हमेशा सत्य बोलता है, दुनिया की सबसे बड़ी अदालत आपका स्वयं का दिल है, इसीलिए जिंदगी के महत्वपूर्ण फैंसले दिमाग से नहीं दिल से लें, जिससे मंजिल प्राप्त करने में आपको आसानी होगी।

गलतियां सभी से होती हैं और गुस्सा सबको आता है

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि पत्थर मारने से शीशा टूटता है, टेढ़ा बोलने से रिश्ता टूटता है, अदब से बोलिए, संभल कर चलिए, शीशा और रिश्ता दोनों सुरक्षित रहेंगे। गलतियां सभी से होती है और गुस्सा सबको आता है। फिर बुरा मानने की वजह शांति और सुधार की किरण तलाशी जाना चाहिए। खुद से गलती हो जाए तो समझौता चाहते हैं। वही दूसरों से गलती हो जाए तो इंसाफ की मांग करते हैं। सुधार तब होगा जब हम दोनों के लिए इंसाफ चाहेंगे।

चालाकी और चालबाजी दोनों स्वर्ग के प्रवेश में बाधा हैं

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि ईश्वर का अनुग्रह पाने के लिए निष्पाप रहिये, निष्पाप रहने के लिए सरलता चाहिए, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश प्राप्त करने के लिए बच्चे बनकर जाना होता है, चालाकी और चालबाजी दोनों स्वर्ग के प्रवेश में बाधा है। आदमी के कर्म अगर अच्छे हों तो किस्मत उसके चरणों की दासी बन जाती है। नियत अगर अच्छी हो तो स्वयं का घर ही मथुरा और काशी हो जाता है।

मुनिश्री ने शहर के मन्दिरों के किए दर्शन, गुरुभक्तों ने किए पाद प्रक्षालन

समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनि श्री विनय सागर महाराज युवा भक्तों के साथ पद विहार कर दौलतगंज जैन मन्दिर, मामा का बाजार स्थित दिगंबर जैन मन्दिर में विराजित भगवान जिनेन्द्र के दर्शन के साथ पूरे मन्दिर की वंदन की। मुनिश्री जहां-जहां से निकाले वहीं गुरुभक्तों ने उनके चरणों का पाद प्रक्षालन व आरती उतारकर मंगल आशीर्वाद लिया। इस मौके पर उमेश जैन, चक्रेश जैन, ज्योतिषाचार्य हुकुमचंद जैन, राजेश जैन लाला, अजय जैन आदि मौजूद थे।