अच्छी संगति से जीवन सुख, समृद्धि और प्रतिष्ठापूर्ण होता है : विनय सागर

मुनिश्री विनय सागर महाराज के चेतकपुरी जैन मन्दिर में हुए प्रवचन

ग्वालियर, 20 जून। जिसकी जैसी मति होती है, उसकी वैसी ही संगति होती है और उसकी वैसी ही गति होती है। काफी दुख और चिंता का विषय है कि आज का व्यक्ति अच्छी संगति की जगह बुरी संगति की ओर अग्रसर है और अच्छे संस्कारों की जगह बुरे विचारों को अपना रहा है। आज इंसान जुंआ, शराब, चोरी एवं व्यसनों की तरफ जा रहा है। अपने ही घर में चोरी करता, शराब पीकर आता है, झगड़ा करता है, परिवार में कलहपूर्ण वातावरण उत्पन्न करता है, जिससे उसकी समाज में प्रतिष्ठा धीरे-धीरे खत्म हो जाती है और अच्छे मित्र रिश्तेदार दूर होने लग जाते हैं। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने सोमवार को चेतकपुरी में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि हमेशा अच्छी संगति में बैठिए चाहिए, इससे आपके जीवन और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होगा और मान-मर्यादा में भी वृद्धि होगी। मुनिश्री ने कहा कि हमारे जीवन में जब भी कोई तकलीफ, कष्ट, दु:ख आता है, तो हमें तकलीफ होती हैं, उसका नाम वेदना है, लेकिन और दूसरों की तकलीफ होंनें पर जिसके आंसू निकल आते है, उसका नाम संवेदना हैं, जितने भी महापुरुष हुए हैं, वह सभी संवेदनशील रहे हैं, जो जितना अधिक संवेदनशील होता है, वह उतना ही व्यापक होता हैं, अपनी पीडा़ पर तो सभी आंसू बहा लेते हैं, लेकिन सच्चा इंसान वही है जो औरों की पीड़ा पर आंसू बहाए।

कर्म ने अच्छे अच्छे महापुरुषों को भी नहीं छोड़ा

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि कर्म से ही सुख और दुख प्राप्त होते हैं। भगवान को भी धरती पर कर्मों के आधार पर सुख दुख भोगने पड़े हैं। इसलिए सभी को अच्छे कर्म करना चाहिए, जिससे सब कुछ अच्छा हो। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम को भी कर्मों ने नहीं छोड़ा था, उन्हें जहां राजगद्दी मिलनी थी, वहां वनवास दिलवा दिया। राजा दशरथ ने सोचा था कि मेरा बेटा सुबह राजगद्दी पर बैठेगा, लेकिन, अयोध्या में सूर्य निकलने के पूर्व ही राम को अयोध्या छोडऩी पड़ी। इसी प्रकार कर्म ने महापुरुषों को भी नहीं छोड़ा।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन बताया कि मुनिश्री ससंघ का मंगल विहार आज शाम को चेतकपुरी से गर्ग नर्सिंग होम मिश्रा कॉलोनी के लिए हुआ।