शिकायतकर्ता ने वकील के माध्यम से प्रमुख सचिव व संचालक किसान कल्याण को भेजा सूचना पत्र
भिण्ड, 19 जुलाई। जिले में पदस्थ उप संचालक कृषि एसपी शर्मा द्वारा किए जा रहे कृत्यों से विभाग बदनाम हो रहा है। उनकी सांठ-गांठ के वायरल हुए ओडियो की जांच करीब तीन महिने बीत जाने के बाद भी कलेक्टर ने नहीं कराई है। खास बात यह है कि कलेक्टर ने उनकी शिकायत की जांच स्वयं उन्हें ही सौंप दी। इससे लगता है कि कलेक्टर उनका बचाव कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता विक्रम प्रताप सिंह पुत्र वीरपाल सिंह राजावत निवासी टिकैत हाउस, पचौरी वाली गली, वार्ड क्र.छह वीरेन्द्र नगर, भिण्ड ने अपने अभिभाषक के माध्यम से प्रमुख सचिव, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्रालय बल्लभ भवन, भोपाल एवं संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास संचालनालय, विंध्याचल भवन, भोपाल को भेजे गए सूचना पत्र में कहा है कि जिले के कृषि विभाग में उप संचालक के पद पर कार्यरत एसपी शर्मा ने कभी भी अपने लोक कर्तव्यों का पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से निर्वाहन नहीं किया गया है वर्ष 2016 में जब वह दतिया में पदस्थ थे तब उन पर इस बावत् भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, और कृषि यंत्रों के वितरण में गडबडिय़ों का भी आरोप था तथा इसके अतिरिक्त सप्लायर से रिश्वत लेने का वीडियो भी सामने आया था। इस संबंध में संचनालय किसान कल्याण एवं कृषि विकास मप्र भोपाल के समक्ष जांच भी लंबित है। इसके अलावा विगत दिनों उपसंचालक कृषि एसपी शर्मा एवं सहकारी सोसायटी के अध्यक्ष का ऑडियो बातचीत जनता के बीच वायरल हुई है। इस मामले को समाचार पत्रों ने भी प्राथमिकता से प्रकाशित किया था। यह प्रकरण कलेक्टर भिण्ड के संज्ञान में भी लाया जा चुका है। शिकायतकर्ता ने पांच अप्रैल 2021 को एक लिखित शिकायत उपसंचालक के विरुद्ध भिण्ड कलेक्टर को मय ऑडियों व चिप के सबूतों सहित दी गई थी लेकिन यह हास्यप्रद है कि उनके द्वारा 26 अप्रैल 2021 को उक्त शिकायत की जांच उपसंचालक को ही सौंप दी गई गई। जिसके विरुद्ध आरोप है और वह शिकायत का आरोपी है उसे ही अपने आरोपों की जांच सौंप देना विधिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। बावजूद इसके शिकायत की जांच अभी तक लंबित है। शिकायतकर्ता द्वारा सूचना पत्र में मांग की गई है कि आरोपित उपसंचालक कृषि भिण्ड एसपी शर्मा के कृत्यों के कारण विभाग की गरिमा का क्षति पहुंची है और लगातार क्षेत्र में विभाग की छवि धूमिल हो रही है। इसिलए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाकर मामले की निष्पक्ष जांच उच्च स्तर पर कराई जाए।