भारत को परम वैभव पर ले जाना संघ का मुख्य उद्देश्य : चौहान

विद्या भारती का प्रांतीय प्रशिक्षण वर्ग राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित

पचोर (राजगढ़), 14 मई। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा मार्गदर्शित ग्राम भारती शिक्षा समिति मध्य भारत प्रांत भोपाल द्वारा आयोजित प्रांतीय आचार्य सामान्य शिक्षण वर्ग, प्रधानाचार्य शिक्षण वर्ग एवं वित्त प्रबंधन वर्ग सरस्वती शिशु मन्दिर पचोर जिला राजगढ़ में आयोजित किया गया। इस आवासीय 15 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में शामिल आचार्य-दीदी शामिल हुए।


इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग संघ चालक लक्ष्मीनारायण चौहान ने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य भारत को जग सिरमौर बनाएं। हमारा भारत पुन: विश्वगुरु बने, हम सभी को मिलकर भारत को परम वैभव पर ले जाना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना नागपुर महाराष्ट्र में मोहिते के बाड़े में विजयादशमी के दिन 1925 ई. को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। संघ दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक समरसता बढ़ाने वाला, देश को श्रेष्ठ नागरिक बनाकर देने वाला, भारत को आत्मनिर्भर एवं सशक्त, स्वावलंबी बनाने वाला संगठन है। एक बार महात्मा गांधी ने वर्धा (महाराष्ट्र) के शिविर में पूंछा कि इसमें हरिजन कितने हैं। तो डॉ. हेडगेवार ने कहा कि हमें तो पता नहीं हम स्वयं सेवक की जाति नहीं पूछते, हां आप चाहें तो पूंछ सकते हैं, गांधी जी ने कुछेक स्वयं सेवकों से पूछा कि आपकी रहने, खाने की व्यवस्थ अलग होगी, इस पर स्वयं सेवकों ने कहा कि यहां हम सभी मिलकर रहते हैं, इससे गांधी जी बहुत प्रभावित हुए। संघ की प्रतिदिन एक घण्टे की शाखा लगती है जिसमें एक अच्छे नागरिक का निर्माण किया जाता है।


प्रांतीय कार्यालय प्रमुख और भोपाल विभाग प्रभारी राजेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षक-प्रशिक्षण आवश्यक है। इसके तहत शिक्षकों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा, खेल खेल में शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षा, क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा, त्रिभाषा पद्धति, समग्र मूल्यांकन आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है। सामाजिक, पारिवारिक, नैतिक मूल्यों की शिक्षा, शारीरिक प्राणिक मानसिक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रांतीय पदाधिकारी पूर्णकालिक कार्यकर्ता, वर्ग संयोजक, पचोर के व्यावसायी मोहन गुप्ता, व्यवस्था टोली प्रबंधन टोली एवं मध्य भारत प्रांत के 16 जिलों से 140 आचार्य-दीदी उपस्थित रहे।