गोवर्धन को धारण कर कृष्ण बन गए थे गिरधारी : शास्त्री

खरिका की भागवत कथा में बाल लीला और गोवर्धन पूजा का किया वर्णन

भिण्ड, 11 मई। अटेर क्षेत्र के खरिका में श्रीकृष्ण बलदाऊ जी के मन्दिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छटवें दिन पं. अलकेश शरण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला के साथ गोवर्धन पूजा, पूतना वध की कथा का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि जीवन में जब जन्म के पुण्य उदय होते हैं तभी मनुष्य को श्रीमद्भागवत कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उस स्थान का भी बहुत बड़ा सौभाग्य होता है, जहां श्रीमद् भागवत कथा का वाचन और देवताओं के लिए हवन किया जाता है। वह धरती पवित्र होकर तीर्थ स्थल के समान हो जाती है। शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद बाल लीला और गोवर्धन लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इन्द्र के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण कर लिया था, इसी कारण वे गिरधारी कहलाए। इस अवसर पर गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया गया, जिसमें उपस्थित भक्तगण द्वारा गोवर्धन की पूजा अर्चना करते हए भक्तिभाव में झूम कर नाचे श्रोता। कथा का आयोजन श्रीमती कमला पत्नी रमेश पुरोहित, पूजा आशीष पुरोहित ने कराया है।