जिसके पास कर्जा नहीं वही सबसे सुखी : मंगलेश्वरी देवी

दंदरौआ धाम में श्रीराम कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 29 मार्च। मनुष्य को शास्त्रों का अध्ययन जरूर करना चाहिए, अध्ययन के साथ चिंतन भी करना चाहिए। जीवन में सबसे बड़ा दुख किसी का ऋण, परिवार में कोई बीमार हो और जीवन का सबसे बड़ा सुख जिसके पास किसी का कर्जा न हो, जिसका परिवार खुशहाल हो, वही मनुष्य जीवन में सुखी है। यह उद्गार श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत रामदास जी महाराज के सानिध्य में दंदरौआ धाम में श्रीराम कथा में प्रवचन करते हुए महामण्डलेश्वर कनकेश्वरी देवी की शिष्या मंगलेश्वरी देवी ने व्यक्त किए।
मंगलेश्वरी देवी ने कहा कि कि भगवान ने इस संसार में हमें किस लिए भेजा है। इस संसार में सभी मनुष्य यात्रा कर रहे हैं लेकिन जो मनुष्य यात्रा में अपने लक्ष्य से नहीं भटकते वही भक्ति को प्राप्त कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि जो अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहते हैं अन्यथा लालच में आकर मनुष्य अपने लक्ष्य को भूल जाता है तो दुनियादारी चक्कर में फंसकर भक्ति मार्ग से भटक जाता है। उन्होंने रामचरित मानस के अंश की व्याख्या करते हुए कहा कि भक्ति की खोज में कई बाधाएं आती हैं। जिस मनुष्य को देह अहंकार हो जाता है तो वह भक्ति मार्ग को नहीं पा सकता क्योंकि अहंकारी व्यक्ति को भक्ति नहीं मिलती है। कथा के मुख्य यजमान श्रीमती सरोज अशोक द्विवेदी हैं। श्रीराम कथा का आयोजन एक अप्रैल तक चलेगी। इस अवसर पर राधिकादास वृंदावनधाम, जलज त्रिपाठी, परमात्मादास, अभिषेक शास्त्री, सौरभ दुबे, नारायण व्यास, गौरव दुबे, अभिषेक पुरोहित सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।