भिण्ड, 15 मार्च। गोरमी में अभी हाल ही में शासकीय महाविद्यालय स्थापना गई है, जो वर्तमान में इंटर कॉलेज परिसर में संचालित है, महाविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां में छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए ना तो फर्नीचर की और ना ही उनके लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। यहां तक कि महाविद्यालय में लाइट की भी व्यवस्था नहीं है। मप्र शासन ने पिछले वर्ष ही नगर में महाविद्यालय स्थापित किया है, जिसमें बीए एवं बीएससी पाठ्यक्रम संचालित है, प्रथम सत्र में 22 छात्र-छात्राओं ने इस महाविद्यालय में प्रवेश लिया था। अध्यापन हेतु एक दर्जन से ज्यादा अतिथि विद्वान की नियुक्ति भी महाविद्यालय में है। लेकिन प्राचार्य सहित स्टाफ के लिए ना तो बैठने की व्यवस्था है और ना अन्य कोई सुविधाएं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि गोरमी में नाम मात्र का महाविद्यालय संचालित है, सुविधाओं के अभाव में छात्र-छात्राएं भी अध्ययन के लिए नहीं आते हैं।
छात्र-छात्राओं का कहना है कि हम लोगों को बैठने के लिए फर्नीचर और ना लाइट एवं पंखे की व्यवस्था है। इसलिए हम लोग महाविद्यालय में पढऩे नहीं जाते हैं। शासन को जनभागीदारी एवं अन्य माध्यम से महाविद्यालय में शीघ्र ही इन सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए। जिससे अगले सत्र में ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्राएं यहां प्रवेश लें एवं महाविद्यालय भवन का निर्माण भी जहां भी शासकीय जमीन मिले वहां हो जाए तो महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी बढ़ेगी।
इनका कहना है-
महाविद्यालय में स्टाफ एवं छात्रों को बैठने के लिऐ न तो फर्नीचर है और न ही लाइट एवं शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। अगर जनभागीदारी एवं अन्य किसी माध्यम से व्यवस्था हो जाए तो महाविद्यालय में छात्र-छात्राएं भी पढऩे के लिए आने लगेंगे, इसके लिए मैंने लीड महाविद्यालय एमजेएस को भी पत्र लिखा है।
जितेन्द्र बसेरिया, प्रभारी प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय गोरमी