शा. महाविद्यालय में ‘बाल अपराध एवं बाल सुरक्षा’ विषय पर कार्यशाला आयोजित

भिण्ड, 09 फरवरी। शासकीय महाविद्यालय मेहगांव में राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से यूनिसेफ के सहयोग से ‘बाल अपराध एवं बाल सुरक्षा’ विषय पर आरके डबरिया के निर्देशन में कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती गिरिजा नरवरिया द्वारा कार्यशाला आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता पूर्व प्राचार्य एवं समाजशास्त्री डॉ. आरके सक्सेना रहे।
उन्होंने छात्र-छात्राओं के समक्ष बाल अपराध पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रतिशोधात्मक सिद्धांत, निरोधात्मक सिद्धांत और अंत में बाल अपराध के सुधारात्मक सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल अपराध में सुधार तभी हो सकता है जब प्रत्येक बालक जिसकी आयु 11 से 18 वर्ष के बीच है वह इस अपराध के प्रति जागरुक हो तभी इस समस्या में कुछ हद तक सुधार किया जा सकता है। वर्तमान समय में भारत में बाल अपराध की समस्या अपना गंभीर रूप धारण करती जा रही है जो चिंता का विषय है।


कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती गिरिजा नरवरिया ने कहा कि इस बिगड़ते बचपन के जिम्मेदार कुछ हम लोग भी हैं, जो अपने बच्चों को ऐसा पारिवारिक और सामाजिक वातावरण उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। बाल अपराध नगरीय एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पांव पसार चुका हैं। अधिकतर बाल अपराध समूह में होते हैं। वास्तव में देखा जाए तो यह निर्विवाद सत्य है कि देश में अधिकांश बाल अपराध पारिवारिक गरीबी के कारण होते हैं साथ ही यही गरीबी अशिक्षा का कारण बन जाती है। प्रो. वंदना श्रीवास्तव एवं प्रो. दुर्गेश गुप्ता ने भी बाल अपराध बाल सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त कर छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया।