भिण्ड, 06 नवम्बर। घर-घर गीता का प्रचार हो जन अभियान के अंतर्गत कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर शहर के द्वारिका मांगलिक भवन में गीता स्वाध्याय पाठ का आयोजन किया गया।
विश्व गीता प्रतिष्ठानम के मीडिया प्रभारी शैलेश सक्सेना ने बताया कि जिले में गीता का प्रचार जोर-शोर से किया जा रहा है। कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य यजमान नरेश यादव द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ। स्वाध्याय पत्र का सामूहिक रूप से वाचन किया गया। सुभाषित एवं अमृत वचन का पाठन प्रमोद कुमार मिश्रा द्वारा किया गया, उन्होंने सुभाषित श्लोक की विस्तृत व्याख्या भी की। गुरू वंदना का सस्वर वाचन मुलायम सिंह चौहान एवं राजेन्द्र सिंह भदौरिया द्वारा किया गया। डॉ. साकार तिवारी ने गीता के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला, उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को सरल एवं रसमयी वाणी से मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सभी से प्राचीन ग्रंथ गीता का नियमित अध्ययन करने का निवेदन किया।
ज्ञानेन्द्र सिंह ने गीता के द्वितीय अध्याय के श्लोकों का पाठन व्याख्यान किया। उन्होंने ने बताया कि युद्ध क्षेत्र में अर्जुन के विषादग्रस्त होने के कारण उसके विषाद को दूर करने के लिए भगवान ने कहा कि तू शोक क्यों करता है, इस शरीर की जैसे बचपन, युवावस्था और जरा (बुढ़ापा) अवस्थाएं होती हैं, वैसे ही अन्य देह की प्राप्ति भी एक अवस्था हैं, इसमें धीर पुरुष मोहित नहीं होते। भगवान ने कहा कि न तो आत्मा का जन्म होता है और न मरण, न ही कभी अभाव होता है, आत्मा तो अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है शरीर के नष्ट होने पर भी इसका नाश नहीं होता। विजय विक्रम श्रीवास्तव द्वारा कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का रामनामी दुपट्टा ओड़ाकर स्वागत किया। अंत में मां गीता जी की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर नरेश यादव, भानु श्रीवास्तव, महेन्द्र बाबू तिवारी, मुलायम सिंह चौहान, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, अमित चौधरी, विजय विक्रम श्रीवास्तव, आनंद त्रिपाठी, दुर्गादत्त शर्मा, सुनील यादव एवं महिलाएं उपस्थित रहीं।







