किसी के द्वारा अहित किरने पर उससे दुर्व्यवहार ना करने से समाज में रहती है शांति : शंकराचार्य

भिण्ड, 25 सितम्बर। कैकई द्वारा श्रीराम का वनवास होने पर भी राम के मन में कैकई के प्रति आदर का भाव था, उन्होंने कैकई को भला बुरा न कहते हुए उनके पैर छूकर पहले की ही तरह सम्मान दिया और आशीर्वाद लिया। जिससे समाज में प्रेरणा मिलती है कि किसी द्वारा स्वयं का अहित होने पर भी हमें उसकी निंदा और उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। निंदा और दुर्व्यवहार करने से परिवार, समाज एवं राष्ट्र में टकराव होता है, जिसका परिणाम अशांति है। जीवन में अशांति आ जाने से संबंधित सभी जन दुखी होते रहते हैं। यह बात अटेर क्षेत्र के परा गांव के अमन आश्रम परिसर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ के दौरान अनंत विभूषित काशी धर्म पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ ने कही।
शंकराचार्य ने कहा कि कुसंग का परिणाम कितना भयंकर होता है, इसका उदाहरण कैकयी के चरित्र से होता है। कैकयी मंथरा बातों पर विश्वास कर लेती है और वह प्रसन्न होकर के उसकी प्रसंशा करने लगती है। उसका परिणाम यह हुआ कि कैकेयी राम से ही विरोध कर बैठती है। कैकयी बहुत समझदार थी लेकिन कुसंग के परिणाम स्वरूप मंथरा की बातों में आकर के एक अबोध बालिका की तरह कुमार्ग में चली गई। कुमार्ग का परिणाम कितना भयावह होता है यह अज्ञान में मालूम नहीं होता है, इसलिए शास्त्र का श्रवण किया जाता है। जिससे पहले से जानकारी हो जाय कि कुमार्ग का फल क्या होता है। किसी को तकलीफ देना, किसी को सताना, किसी की वस्तु का हरण कर लेना यह सब कुमार्ग का ही परिणाम है।
शंकराचार्य ने कहा कि मनुष्य विषयों के भोगों का चिंतन करता है और चिंतन करने से विषयों की कामना पैदा हो जाती है। कामना की पूर्ति ना होने पर क्रोध आ जाता है क्रोध उत्पन्न होने पर व्यक्ति हिंसक हो जाता है, जिसका परिणाम विद्रोह है। कामना भोगों का चिंतन करने से उनमें आसक्ति हो जाती है और आशक्ति ही सारे झगड़े की जड़ है। ज्ञानी पुरुषों का जो व्यवहार होता है वह अनाशक्त होकर कर्म करते हैं तथा फल में समत्व की भावना रखते हैं। इसीलिए श्रीराम वनवास होने पर आदर्श प्रस्तुत करते हैं। वह माता कैकेयी से कहते हैं महाराज की प्रतिज्ञा का पालन मैं अवश्य करूंगा। भगवान श्रीराम समाज में आदर्श प्रस्तुत करते हैं कि शिष्य का कर्तव्य गुरु के साथ कैसा होना चाहिए, पुत्र का कर्तव्य माता-पिता के साथ कैसा होना चाहिए। भाई का कर्तव्य भाइयों के साथ कैसा होना चाहिए। पति का कर्तव्य पत्नी के साथ कैसा होना चाहिए।
आपको बता दें कि परा गांव स्थित अमन आश्रम में कार्यक्रम का आयोजन नारायण सेवा समिति द्वारा किया गया है। जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों भक्त पहुंचकर धर्म लाभ एवं भण्डारा प्रसाद प्राप्त कर रहे हैं। श्रीराम कथा के बाद प्रतिदिन हजारों लोग भण्डारा प्रसादी ग्रहण कर रहे हैं।