भिण्ड, 09 अक्टूबर। आलमपुर क्षेत्र के गौंड बाबा मन्दिर परिसर में चल रही भागवत कथा में मंगलवार को कथा व्यास रमाकांत खेमरिया ने भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं का वर्णन किया। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही पूरा पण्डाल झूम उठा और श्रद्धालु हाथी-घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की भजनों पर जमकर झूमे।
कथा व्यास रमाकांत शास्त्री ने बताया कि सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस आठवीं संतान की मृत्यु का भी भय सता रहा था, क्योंकि उसका भाई कंस अपने काल के टालने के लिये देवकी की सात संतानों को पहले ही मार चुका था। लेकिन भगवान की लीला तो वे स्वयं ही समझ सकते हैं और जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण सीधे गोकुल पहुंच गए। जहां कुछ समय बाद भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में नित्य ही माखन चोरी लीला करते हैं और जब मां यशोदा के बार-बार समझाने पर भी श्रीकृष्ण नहीं मानते हैं तो मां यशोदा ने भगवान को रस्सी से बांधना चाहा पर भगवान को कौन बांध सकता है लेकिन भगवान मां की दयनीय दशा को देखते हुए स्वयं बंध जाते हैं। इसलिए भगवान को न धन से न पद से न प्रतिष्ठा से किसी से नहीं बांधा जा सकता है। भगवान तो प्रेम के बंधन में स्वयं ही बंध जाते हैं।
रमाकांत शास्त्री ने कथा में आगे कहा कि मनुष्य यदि अपने कर्म को सुधार ले तो उसका जीवन सफल हो जाता हैं। कर्म ही मनुष्य को अच्छा या बुरा बनाते हैं। इसलिए मनुष्य जीवन में अच्छे कर्म कर परमात्मा की भक्ति से मोक्ष को प्राप्त होता है। इस दौरान कांक्सी सरकार के पुजारी नाटी महाराज, यज्ञाचार्य भैरवदत्त शास्त्री, गौंड बाबा मन्दिर के भगत पिंटू भगत, कालू खट्टर, अंकित राणा, रामू कौरव समेत सैकडों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।