भिण्ड, 26 सितम्बर। भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के कारण एक तरफ आम नागरिक के लिए रसोई गैस खरीदना मुश्किल हो रहा है, तो दूसरी तरफ कोरोना महामारी एवं ऑनलाइन व्यापार के कारण छोटे-छोटे दुकानदार भाइयों, व्यापारियों का व्यापार सिकुड़ रहा है, नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहा हैं, लेकिन मोदी सरकार गूंगी, बहरी, अंधी बनी हुई है। नौजवान रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन उसे रोजगार नहीं मिल रहा। बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कंपनियां छोटे-छोटे धंधों में उतर रही हैं। इन सभी समस्याओं को लेकर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा भिण्ड ने शहर में छोटी-छोटी नुक्कड़ मीटिंग कर 27 सितंबर को भारत बंद के साथ-साथ भिण्ड बंद के लिए सहयोग मांगा।
नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक देवेन्द्र सिंह चौहान एडवोकेट ने कहा कि एक तरफ देश व देश की संपत्ति को बेचने वाली ताकतें हैं, तो दूसरी तरफ जनअधिकारों एवं देश की आजादी को बचाने वाली ताकतें संघर्ष कर रही हैं। 27 सितंबर का भारत बंद देश की एकता अखण्डता की रक्षा करने के लिए एवं केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ है, इसलिए इस बंद में जनसहयोग बढ़-चढ़कर मिल रहा है। सीटू जिला संयोजक नरेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मोदी सरकार ने मजदूर विरोधी कदम उठाया है, यह अधिकार मजदूरों ने अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते प्राप्त किए थे, आज पूंजी पतियों के दबाव में वह कानून खत्म कर रहे हैं। मीटिंग को विनोद सुमन, श्रीकृष्ण बाल्मीकि ने भी संबोधित किया और 27 सितंबर को भिण्ड बंद के लिए जन सहयोग मांगा। उक्त जानकारी प्रेस को जारी विज्ञप्ति में संयुकत किसान मोर्चा के अनिल दौनेरिया ने दी।