उत्तम ब्रह्मचर्य हमें सदाचरण और सामाजिक संस्कृति की सीख देता है : विनय सागर

पर्यूषण पर्व के अतिंम दिन अनंत चतुर्थी पर व्रतधारियों ने चढ़ाए महाअघ्र्य

भिण्ड, 28 सितम्बर। उत्तम ब्रह्मचर्य हमें सदाचरण और सामाजिक संस्कृति की सीख देता है। स्वयं में निवास करना आत्मा की पहचान करना ब्रह्मचर्य है, सबसे कठिन तप है ब्रह्मचर्य, सबसे बडी साधना है ब्रह्मचर्य, ब्रह्मचर्र्य की साधना तन से बाद में, मन से पहले करनी होती है। केवल विषयों को छोडना ही नहीं है, ब्रह्मचर्य में लीन भी होना है। ब्रह्मचर्य जो हमारी साधना का मूल है, सभी साधनाओं में ब्रह्मचर्य को सबसे प्रमुख स्थान दिया गया है। ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करने से शक्ति का संचार होता है। पांच पापों को त्याग करने से महाव्रत हो जाएगा। यह विचार पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म और भगवान वासपूज्य के मोक्ष कल्याण पर श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने लश्कर रोड स्थित चातुर्मास स्थल महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में धर्मसभा में व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि हिंसा, झूठ, चोरी, परिग्रह व अकुशिलता को त्याग करना चाहिए। चातुर्मास के चार माह में सिर्फ धर्म पुरुषार्थ करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और चेहरे पर चमक आती है। ब्रह्मचर्य आत्म स्फूर्ति को प्रदान करता है। तेजस्विता को बल प्रदान करता है। ब्रह्मचर्य धर्म के निर्वाह के लिए इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। आराम छोडकर धर्म आराधना करें। रोटी, कपडा और मकान पापी को भी मिल जाता है। कुछ लोगों को विरासत में धन, वैभव, सुख मिलता है, लेकिन वह स्थाई नहीं रहता है। पुरुषार्थ के हिसाब से पुण्य मिलता है। अपने ध्यान में लीन होना पुरुषार्थ है। मन में विकार आने से धर्म आराधना नहीं करते हैं। इसी कारण बुद्धि उल्टी रहती है, वह मिथ्या दृष्टि है। मिथ्या दृष्टि व्यक्ति जो मदिरापान करते हैं वह संसार को असार बताता है। विकारी मानसिकता वाले को हंसी, मुस्कान नहीं आती है। अनुभव और अध्ययन में अंतर है।
समाज जनों ने चढ़ाया भगवान वासपूज्य को निर्वाण लड्डू
मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में अनंत चतुर्थी पर पर्यूषण पर्व के अतिंम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य पर व्रतधारियों ने रखे। व्रत रखने के साथ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूजन के साथ भगवान वासपूज्य के मोक्ष कल्याणक पर अष्टद्रव्यों से पूजन कर निर्वाण काण्ड पूजन के बाद संगीतकार के भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए 11 किलो का निर्वाण लड्डू भिण्ड जैन समाज के लोगों ने जयकारों के साथ समर्पित किया।
श्रावकों ने किया भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक, मुनि ने कराई बृहद शांतिधारा
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के मंत्रों का उच्चारण के साथ श्रावकों ने पीले वस्त्रों में भगवान जिनेन्द्र का कलशों से इन्द्रों ने जयकारों के साथ किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद से मंत्रोच्चारण कर रोहित, अंकुश, विक्की जैन, मनीष, नरेश कुमार जैन, नरेश जैन मामा परिवार ने भगवान जिनेन्द्र के मस्तक पर बृहद शांतिधारा की।