बालक की हत्या करने वाली आरोपिया को आजीवन कारावास

भोपाल, 23 सितम्बर। आठवें अपर सत्र न्यायाधीश भोपाल बलराम यादव के न्यायालय ने ग्राम चीचली बैरागढ, कोलार में चार वर्षीय नाबालिग बच्चे की जघन्य सनसनीखेज हत्या मामलें में आरोपिया सुनीता सोलंकी को धारा 302, 363 भादंवि में दोष सिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास व एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 363 भादंवि में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड का निर्णय पारित किया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती वर्षा कटारे एवं विजय कोटिया ने की गई।
संभागीय जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार घटना का संक्षि विवरण के अनुसार ग्राम चीचली बैरागढ कोलार में 14 जुलाई 2019 को नारायण मीणा का चार वर्षीय नाती घर के बाहर खेल रहा था, जो शाम को वापस नहीं आया, जिसको 14 से 16 जुलाई तक ढूंढा गया, किंतु नहीं मिला। पडोस में खाली पडे अमर सिंह के मकान में 16 जुलाई को बदबू आने पर पुलिस द्वारा घर का ताला तोडकर व आस-पास के लोगों के साथ घर में जाकर देखा गया तो एक बच्चे की अधजली लाश मिली, जिसको नारायण सिंह मीणा ने अपने नाती वरुण के रूप में पहचान लिया। मौके से पुलिस द्वारा महिला के बाल एवं अन्य जब्तियां की गईं। साथ घटना स्थल से एक गेहूं की लाईन जो सुनीता सोलंकी के घर तक गई थी, उस लाईन के सहारे सुनीता के सोलंकी के घर गए, जहां पर एक टंकी में गेहूं रखे हुए थे और उसके आस-पास कीटनाशक दवाई रखी मिली थी, जिसे पुलिस ने जब्त किया था। संदेह के आधार पर आरोपिया सुनीता सोलंकी को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में आरोपिया सुनीता सोलंकी व उसका पुत्र (अपचारी बालक) को अभिरक्षा में लिया गया, जिससे पूछताछ की गई। पूछताछ में सुनीता सोलंकी द्वारा पुरानी रंजिश को लेकर मृतक वरुण का अपहरण कर उसे चींटीमार दवा खिलाकर मार दिया और उसे गेंहू की टंकी में अपने घर में बंद कर दिया, 16 जुलाई को अमर सिंह के सूने पडे मकान में ले जाकार उसे जला दिया। धारा 363 भादंवि में कायमी कर विवचेना के दौरान आरोपिया के विरुद्ध धारा 363, 364, 302, 201, 34 भादंवि का मामला पाए जाने से अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। आरोपिया सुनीता सोलंकी के पुत्र (अपचारी बालक) के संबंध में अभियोग पत्र बाल न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। मौके से जब्त किए महिला के बाल का डीएनए मिलान एवं सुनीता सोलंकी के घर से जब्त की गई कीटनाशक दवा के रेपर से लिए गए फिंगर प्रिंट की एफएसएल से जांच पश्चात, डीएनए एवं फिंगर प्रिंट के मिलान व अभियोजन द्वारा प्रस्तुत अन्य साक्ष्यों के आधार पर अभियोजन ने अपना मामला प्रमाणित किया। जिस कारण आरोपितया सुनीता सोलंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।