बेशकीमती रक्त चंदन की तस्करी करने वाले पांच आरोपियों को तीन-तीन वर्ष का कारावास

रायसेन, 05 जुलाई। न्याायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गौहरगंज, जिला रायसेन अतुल बिल्लौरे के न्यायालय ने बेशकीमती चंदन की तस्करी करने वाले आरोपीगण मुफीस उद्दीन पुत्र नईम उद्दीन निवासी सोनागिरी भोपाल, रमेश प्रसाद पुत्र पंछीलाल विश्वकर्मा निवासी औद्योगिक क्षेत्र मण्डीदीप, राजेन्द्रन पुत्र बीआर मुगम निवासी बरखेडा पठानी भोपाल, कासिम उर्फ कासिफ मुस्तफा पुत्र अब्दुल कादिर निवासी गोलापुरम चेन्नई (तमिलनाडू), एसएस सैय्यद इब्राहिम पुत्र सिकंदर बाबा निवासी अग्गीप्पन बाइकन स्ट्रीट चेन्नइ, (तमिलनाडू) को वन परिक्षेत्र चिकलोद, वन मण्डल औबेदुल्लागंज जिला रायसेन (मप्र) के वन अपराध के मामले में दोषी पाते हुए आरोपीगण को भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-41 एवं 66ए के आलोक में धारा-42 में एक वर्ष सश्रम कारावास, अभिवहन (वनोपज) परिवहन नियम 2000 के नियम-3 के उल्लंघन में उक्त नियम के नियम-22 में एक वर्ष सश्रम कारावास, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा-3 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, जिसके व्यतिक्रम में एक माह का सश्रम कारावास एवं जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा-7 के उल्लंघन में धारा-55(2) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 9500 रुपए अर्थदण्ड, जिसके व्यतिक्रम में छह माह सश्रम कारावास के दण्ड से दण्डित किया गया है। मामले में मप्र राज्य की ओर से पैरवी सहायक लोक अभियोजन अधिकारी तहसील गौहरगंज लोकेन्द्र कुमार द्विवेदी ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 12 मई 2013 को वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को मण्डीदीप में लाल चंदन रखे होने की सूचना मिली, जिस पर से वन अधिकारियों सहित एक अधिकृत टीम को सूचना की तस्दीक हेतु वन अधिकारी केव्हीएस यादव के साथ टविस्टर्स एण्ड विवर्स इण्डस्ट्रीज, इंडस्ट्रीयल एरिया मण्डीदीप, प्लाट नं.92ए सेक्टर, मण्डीदीप के परिसर भेजा गया। जिसकी विधिवत तलाशी वन अधिकारियों-कर्मचारियों ने पुलिस बल के सहयोग से की। परिसर पर कंपनी का चौकीदार रमेश विश्वकर्मा था। तलाशी के दौरान परिसर के अंदर स्थित एक टीनशेड में लगे ताले को चौकीदार से खोलने हेतु कहा तो उसने बताया कि इस ताले की चाबी नहीं है, तब शंकास्पद स्थिति होने पर विधि अनुसार ताला तोडकर जाकर देखा कि एक ट्रक त्रिपाल से ढका हुआ खडा था, जिसमें ऊपर संतरे भरे थे और नीचे लाल चंदन की लकडियां रखीं थी तथा परिसर में लाल एवं सफेद चंदन की लकडी काफी मात्रा में रखी मिली। मौके पर उपस्थित चौकीदार के पास लाल चंदन के संबंध में कोई वैध अनुज्ञा-पत्र नहीं मिले, जिसके बाद प्रकरण दर्ज कर आवश्यक पंचनामा आदि की कार्रवाई की गई। तौल कराने पर लगभग 13 टन रक्त चंदन वनोपज अवैध रूप से रखा जाना पाया गया। जिसकी बाजार कीमत लगभग दो करोड रुपए से भी अधिक थी। रक्त चंदन वनोपज सैंपल तैयार किया गया।
यहां यह उल्लेखनीय है कि रक्तचंदन तमिलनाडू एवं आंध्रप्रदेश के केवल चार जिलों में पाया जाता है, जिसकी बडे पैमाने पर एवं संगठित रूप से देश-विदेश में तस्करी की जाती है। अनुसंधान के दौरान पता चला कि यह रक्त चंदन चैन्नई निवासी मो. कासिम मुस्तफा व सैय्यद इब्राहिम ने मुफीसउद्दीन की सहायता से मण्डीदीप में अवैध रूप से रखा था और अरुणमणी तथा राजेन्द्रन मण्डीदीप में उनकी ओर से कार्य देख रहे थे तथा कासिम मुस्तफा एवं सैय्यद इब्राहिम भी मण्डीदीप आकर रक्त चंदन का अवैध व्यापार कर रहे थे। यह दोनों अभियुक्तगण संगठित रूप से रक्त चंदन के अवैध व्यामपार में जुडे हुए एवं काफी प्रभावशाली थे। जिन्हें गिरफ्तार करने में भी अनेक प्रयास करने पडे थे। इस मामले में वन विभाग द्वारा अनुसंधान संबंधी कार्रवाई के उपरांत आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न कर अभियुक्तगण के विरुद्ध विचारण हेतु परिवाद-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। शासन की ओर से सहायक लोक अभियोजन अधिकारी ने पक्ष रखते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित कराया। फलस्वरूप न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी पाते हुए उक्त धाराओं में दण्डित किए जाने का आदेश सुनाया है।