नाबालिगा से छेडख़ानी करने वाले आरोपी को तीन वर्ष का कारावास

सागर, 17 मार्च। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला-सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने घर में घुस कर नाबालिगा के साथ छेडख़ानी करने वाले आरोपी बाबू यादव निवासी अंतर्ग थाना बहरोल को दोषी करार देते हुए धारा 457, 354 भादंवि के तहत तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 323 भादंवि (काउंट-02) में एक वर्ष सश्रम कारावास (दो बार) एवं 500 रुपए अर्थदण्ड (दो बार) एवं धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका के पिता) ने थाना बहरोल में रिपोर्ट लेख कराई कि 15 अगस्त 2019 को रात्रि करीब 11:30 बजे वह उसके घर मे नीचे दहलान में सो रहा था, उसकी तीन लड़कियां ऊपर अटारी में सो रही थीं, तभी उनके चिल्लाने की आवाज सुनाई देने पर उसने अटारी पर जाकर देखा कि अभियुक्त बाबू यादव हाथ में लाठी लिए लड़कियों को गाली देते हुए उनसे छेडख़ानी कर रहा था, उसने बाबू यादव से वहां आने का कारण पूछा तो वह गाली गलौच करने लगा और लाठी से मारपीट करने लगा, जिससे उसके दाहिने पैर के घुटने में चोट लगी और फिर अभियुक्त ने उसे जमीन पर पटक दिया, जिससे उसे दाहिने हाथ के कौंचे व गर्दन में पीछे चोट लगी, तभी उसका भाई उसे बचाने आया तो अभियुक्त बाबू ने उसके साथ भी मारपीट की, जिससे उसे भी चोटें आईं। शोर सुनकर गांव के लोग आ गए जिन्हं देखकर अभियुक्त बाबू भाग गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना बहरोल पुलिस ने धारा 458, 354, 294, 323, 506 (भाग-2) भादंवि, धारा 3(1)(द), 3(1)(ध), 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट 1989 एवं धारा-8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।