साधु, संत, ऋषि, मुनि होते हैं बिचोलिये भक्त और भगवान के बीच : पाराशर

ग्राम श्यामपुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में उमड़ा जन सेलाबाल

भिण्ड, 08 फरवरी। लहार क्षेत्र के ग्राम श्यामपुरा में रावतपुरा सरकार के सानिध्य में चल रही भागवत कथा के अयोजक श्रीमती हरकुंवर रामकुमार चौधरी सुपुत्र आशीष चौधरी, सूर्या चौधरी द्वारा भव्य भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक पूज्य गुरु महाराज डॉ. श्यामसुंदर पाराशर जी के मुखारबिंद से हजारों लोगों ने भागवत कथा का रसपान किया।
महाराजश्री ने कहा कि जो राम पर विश्वास करता है वो दूसरो से कभी बैर नहीं रखता है, भगवान ही बस दाता है, बांकी पूरी दुनिया भिखारी है, इसलिए किसी राजा का गुण गान करने की बजाए भगवान का गुण गान करो तभी कल्याण होगा। जीवन में कितने भी सफल क्यों न हो जाओ पर भगवान को न भूलें, महाराज जी कहते हैं कि साधु संत ऋषि मुनि सब बिचौले का काम करते हैं, भक्त और भगवान को जोडऩे का वह भगवान की कथा सुनाते हैं, ताकि लोग भगवान से जुड़े उनके प्रति आस्था बढ़े और भगवान को भक्तो की तकलीफ बताते हैं, इस लिए साधु संत का जीवन में होना जरूरी होता है।
महाराज जी कहते हे की किसी की भी वेशभूषा को देखकर उसे साधु संत न समझें पहले उन्हें परखे की वो सच्चा साधु ह या नहीं, उन्होंने साधु को परखने के पांच तरीके बताए, पहला साधु बहुत सहनशील होते हैं उन्हें किसी की बातों का बुरा नहीं लगता, दूसरा साधु में बहुत करुणा होती है, तीसरा साधु सब को अपना लेते हैं, चौथा साधू कभी किसी को हानि नहीं पहुंचाते है, पांचवा साधू हमेशा शांत रहते हैं। महाराज जी कहते हैं कि पहले शिक्षा फिर दीक्षा। पहले परखो फिर उन्हें अपना गुरू बनाओ भीड़ के पीछे न भागो। प्रतिदिन कथा के उपरांत विशाल भण्डारे का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।