भागवत कथा में समाजसेवी भारद्वाज ने व्यासपीठ से लिया आशीर्वाद
भिण्ड, 07 फरवरी। मेहगांव तहसील के अंतर्गत ग्राम गढ़ी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पं. सीताराम शास्त्री ने भक्तों को कथा का मर्म समझाते हुए गोकर्ण धुंधकारी की कथा प्रसंग शुरुआत की।
कथा व्यास पं. सीताराम शास्त्री जी ने समझाया किस तरह प्रभु की भक्ति भक्तों को सहज भाव से प्राप्त हो सकती है, पं. आत्माराम को संतान नहीं हो रही थी तो एक महर्षि द्वारा फल प्रदान किया गया और महर्षि ने कहा कि यह फल पत्नी को खिलाना, संतान सुंदर और श्रेष्ठ होगी। पत्नी ने अपनी बहन के बहकावे में आकर वह फल गाय को खिला दिया, गाय के खाने के बाद गाय माता ने एक बछड़े को नहीं एक पुत्र को जन्म दिया, उसके कान बड़े थे, गाय की तरह गाय माता का पुत्र मनुष्य के संतान के रूप में हुई, क्योंकि मनुष्य संतान होने के नाते कान उसके गाय की तरह बड़े थे, तो उस बालक का नाम विद्वानों ने गोकर्ण रख दिया और जो महात्माजी द्वारा दिया फल नहीं खाया वह अपनी बहन की बातों मे फंस कर अपनी बहन की संतान लेकर उसका नाम धुंधकारी रखा, धुंधकारी का मतलब बदली छा जाना, संशय हो जाना, भ्रम में चले जाना और धुंधकारी ऊताताई बन गया। सारे पाप कर्म करने लगा और अंत में अपने कुकृत्य के द्वारा मृत्यु को प्राप्त हुआ और प्रेत योनि में जन्म हुआ। धुंधकारी का भाई अपने घर में सोया रहता था, तभी प्रेत धुंधकारी ने आवाज लगाई कि भाई मुझे इस योनि से छुड़ाओ। गौकर्ण त्रिकाल संध्या की पूजा करते थे। तभी सूर्यनारायण भगवान से पूछते हैं कि इसके लिए क्या उपाय करना पड़ेगा। सूर्यनारायण ने कहा कि तुम सात गांठ बांस मंगाओ और भागवत का आयोजन करो। हर दिन बांस की गांठ धीरे-धीरे फट जाती है, जो सात दिन फटती है। तब पवित्र होकर धुंधकारी एक दिव्य रूप धारण करके सामने खड़ा हो जाता है।
भागवत कथा का आयोजन श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास जी महराज दंदरौआ सरकार के आशीर्वाद से परीक्षत श्रीमती मीरादेवी-भगवती चरण मुद्गल द्वारा कराया जा रहा है। भागवत कथा में दूर दराज से आए अतिथियों के साथ समाजसेवी अशोक भारद्वाज, श्रीराम शर्मा (गुड्डू) बिल्डर, आरपी शर्मा, एसडीओ राघव शर्मा, डॉ. अनिल भारद्वाज, पत्रकार पुरषोत्तम राजौरिया के साथ साथ आस-पास के गांव के सैकड़ों श्रोतागण उपस्थित थे।