दो अन्य आरोपियों 20-20 वर्ष की सजा एवं एक आरोपी दोषमुक्त
सागर, 23 दिसम्बर। विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी मोहन लोधी निवासी अंतर्गत थाना मालथौन को धारा 376(डी) भादंवि, अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(अ) के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 366 भादंवि, अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(अ) के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं आरोपीगण गुटई उर्फ गोपाल लोधी व रविन्द्र लोधी निवासी थाना अंतर्गत बांदरी को दोषी करार देते हुए धारा 376(क) भादंवि के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रुपए जुर्मने की सजा से दण्डित किया है एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया। उक्त मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धमेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का विवरण संक्षेप में इस प्रकार है कि 25 फरवरी 2018 को अभियोक्त्री ने थाना-बांदरी में रिपोर्ट लेख कराई कि आज रात को करीब 12-01 बजे की बात है, गांव में मन्दिर पर कार्यक्रम चल रहा था, वह और उसकी चचेरी बहन बाथरूम के लिए झाडिय़ा के पीछे गए थे, वहां पर अंधेरा था, तभी झाडिय़ों के पीछे आरोपी मोहन लोधी, गुटई लोधी, रविन्द्र लोधी और एक अन्य आदमी जिसे मोहन- कुवंरजू उर्फ अमित अहिरवार कह रहा था, उक्त चारों ने मिलकर उसे और उसकी चचेरी बहिन को पकड़ लिया, उसे अमित ने पकड़कर उसका मुंह दबा लिया था और चिल्लाने पर गले पर लात रखकर मार डालने की धमकी दी थी, तभी मेरी बहिन रविन्द्र से छूटकर भाग गई। वो चारों लोग मुझे पकड़ कर जंगल में ले गए और उसे नीचे जमीन पर गिरा दिया, जिससे उसके दाहिने हाथ की कोहनी पर चोट भी आई, फिर उसके साथ जबरजस्ती बुरा काम किया व मोहन ने मोबाईल से उसकी फोटो खींची, फिर मोहन ने भी उसके साथ जबरजस्ती गलत काम किया। तब मेरी बहिन गांव से अपने जीजा और व अन्य गांव वालों को भी बुला लाई, तब अभियुक्तगण भाग गए थे। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना बांदरी जिल-सागर पुलिस द्वारा भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 366, 376(क), 323, 354, 506 (भाग-2), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(ह), सहपठित धारा 6, 9(ह), सहपठित धारा 10 व धारा 14 तथा अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(त)(दो), 3(2)(अ)(दो), 3(2)(अ) व 3(1)(प)(दो) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67(इ) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपी मोहन लोधी थाना-मालथौन को धारा 376(डी) भादंवि, अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2) (अ) के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 366 भादंवि, अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2) (अ) के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, आरोपी गुटई उर्फ गोपाल लोधी एवं रविन्द्र लोधी निवासी थाना अंतर्गत बांदरी को दोषी करार देते हुए धारा 376(क) भादंवि में 20 वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया है।