भिण्ड 16 दिसम्बर। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भले ही शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कितनी भी योजनाएं चलाए, कितना भी रुपया खर्च करे। पर जब तक शिक्षा विभाग में भ्रष्ट अधिकारी बैठे हैं तब तक कोई भी योजना जरूरतमंद गरीबों तक दस प्रतिशत भी नहंी पहुच पा रही है।
ऐसा ही एक मामला दबोह के ग्राम मारपुरा के शासकीय स्कूल में देखने को मिला, विद्यालय के खोलने का समय सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया है, पर विद्यालय कभी भी अपने निर्धारित समय पर नहीं खुलता है। जब मीडिया कर्मी विद्यालय खुलने के समय पर गांव में पहुंचे तो विद्यालय बंद मिला। काफी इंतजार के बाद एक शिक्षक विद्यालय पहुंचे और काफी समय के बाद विद्यालय प्रभारी निर्भय सिंह कौरव भी पहुंचे और उन्होंने विद्यालय में मीडिया वालों को देखा तो वह अपनी हिटलरशाही दिखाते हुए अपनी तानाशाही का प्रदर्शन करते हुए पत्रकारों पर दवाव बनाते दिखे। इससे ऐसा लगता है कि विद्यालय में हेड मास्टर निर्भय सिंह कौरव की तानाशाही ज्यादा चलती है और सरकारी कायदे कानून कम ही चलते हैं। जो प्रभारी खुद कभी स्कूल टाइम पर नहीं आते और ना ही स्कूल खुलने, बंद होने का कोई समय निर्धारित है, वह शिक्षक बच्चों का क्या भविष्य बनाएंगे। यदि स्कूल को समय से खोलकर शिक्षक समय से आए तो बच्चे भी समय से स्कूल पहुंचेंगे। जब हेडमास्टर से स्कूल देरी से खुलने व बच्चों की उपस्थिति के बारे में पूछा कि आप के स्कूल में 70 बच्चे हैं, उसमें से सिर्फ चार बच्चे उपस्थित हैं। तो उनका पारा सातवे आसमान पर चढ़ गया और मीडिया वालों से ही अभद्रता करने पर उतारू हो गए, बोले जब आना होगा तब बच्चे आएंगे, सर्दी का सीजन है। शासकीय स्कूल में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, जिसके प्रति जिम्मेदार मौन साधे हैं। यहां केवल नाम के लिए पढ़ाई होने से बच्चों के अभिभावकों का सरकारी स्कूलों से मोहभंग होने लगा है और उन्होंने अपने अधिकांश बच्चों को दबोह के विद्यालयों में भर्ती कर दिए हैं। सही तरीके से पढ़ाई न हो पाने से बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने से अभिभावक चिंतित हैं, योजनाएं सिर्फ कागजों में दौड़ रही हैं।







