टूटे हुए गुरूर की प्रतिध्वनि हैं शशि थरूर

– राकेश अचल


मैं बहुत दिनों से पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और कांग्रेस के उपेक्षित नेता शशि थरूर की चुप्पी के बारे में सोच रहा था। शशि थरूर ने अपनी चुप्पी तोड़ी भी लेकिन एक ऐसे मुद्दे पर जो न सिर्फ अब कालातीत बल्कि निष्प्रभावी भी हो चुका है। शशि राजनीतिक वंशवाद को लेकर मुखर हुए हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के राजनीतिक वंशवाद वाला बयान बिहार विधानसभा चुनाव में हिचकोले खा रही भाजपा के लिए जीवन रक्षक औषधि की तरह साबित हो रहा है। शशि वैसे भी एक लंबे अरसे से कांग्रेस में भाजपा के स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं।
शशि थरूर ने गत 31 अक्टूबर को ओपिनियन पोर्टल प्रोजेक्ट सिंडिकेट पर वंशवाद राजनीति को लेकर लेख लिखा है। शशि थरूर ने इसमें विस्तार से बताया है कि कैसे वंशवाद से प्रेरित राजनीति शासन की गुणवत्ता को कमजोर करती है। शशि थरूर ने भारत के भाई-भतीजावाद राहुल गांधी और छोटा भाई-भतीजावाद तेजस्वी यादव पर सीधा हमला किया है। थरूर की टिप्पणी ने भाजपा को भी बड़ा मौका दे दिया। अब शशि थरूर के बयान पर अब कांग्रेस की तरफ से भी जवाब आया है।
शशि थरूर का दुर्भाग्य है कि वे जिस कांग्रेस में हैं, वहां उनकी योग्यता और अनुभव का न सही सम्मान हो रहा है और उपयोग। इसी वजह से शशि एक अज्ञात कुंठा के शिकार भी हो चुके हैं। शशि ने कांग्रेस नेतृत्व को चमकाने के लिए खुद को भाजपा की ओर झुकने का प्रहसन भी किया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। वे न भाजपा के हो पाए और न कांग्रेस के। निजी तौर पर मैं शशि थरूर की विद्वता का कायल हूं। शशि जैसे बुद्धिजीवियों का राजनीति में होना जरूरी भी है, क्योंकि इस समय भाजपा देश की राजनीति को जिस तेजी से रसातल में ले जा रही है उसे शशि थरूर जैसे लोग ही रोक सकते हैं। दुर्भाग्य ये है कि वे भी कूढ़ मगज राजनीतिक नेतृत्व के आगे असहाय हैं।
कांग्रेस नेता उदित राज ने शशि थरूर पर निशाना साधा है। थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि वंशवादी दृष्टिकोण सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के सभी क्षेत्रों में फैला हुआ है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी शशि थरूर के आरोप पर पं. जवाहरलाल नेहरू और भारतीय राजनीति में प्रमुख गांधी परिवार का बचाव करते हुए कहा कि नेतृत्व योग्यता से आता है। कांग्रेस सांसद ने कहा, पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे योग्य प्रधानमंत्री थे। इन्दिरा गांधी ने अपने प्राणों की आहुति देकर खुद को साबित किया। राजीव गांधी ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश की सेवा की। इसलिए अगर कोई गांधी परिवार को एक राजवंश कहता है, तो भारत में किस परिवार में इतना त्याग, समर्पण और क्षमता थी जितनी इस परिवार में थी? क्या यह भाजपा थी?
शशि थरूर जैसे बहुत से लोग अलग-अलग दलों में मौजूद हैं, किंतु उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह है। भाजपा में ही वंशवाद के रास्ते राजनीति में आए वरुण गांधी को ही ले लीजिए। बेचारे वरुण गांधी को भाजपा नेतृत्व कौन सा भाव दे रहा है? मेरे खयाल में वरूण गांधी, मोशा की जोड़ी से ज्यादा समृद्ध बुद्धिजीवी नेता हैं, लेकिन भाजपा ने उनकी दुर्गति कर रखी है। शशि थरूर के बोल-वचन का कोई लाभ भाजपा को मिलने वाला नहीं है। वे यदि भाजपा में शामिल हो भी जाएं तो भी भाजपा उन्हें अपना चश्मोचिराग बनाने वाली नहीं है। भाजपा को शशि थरूर बाहर से ही अच्छे लगते हैं। भाजपा में जाकर क्या गति, दुर्गति होती है ये कोई ज्योतिरादित्य सिंधिया से पूछ ले। आज जब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा जब 40 स्टार प्रचारकों की सूची बनाती है तो उसमें सिंधिया दूर-दूर तक नजर नहीं आते।
बहरहाल मेरी जितनी सहानुभूति भाजपा के वरुण गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से है उतनी ही सहानुभूति कांग्रेस के शशि थरूर से भी है। बेहतर हो कि शशि थरूर कांग्रेस में अपने लिए अच्छे दिन आने का इंतजार करते हुए अपना समय लिखने पढऩे में खर्च करें। भाजपा के लिए काम करने से उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है।