नाबालिगा से छेडख़ानी करने वाले आरोपी को तीन वर्ष का कारावास

सागर, 18 नवम्बर। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने नाबालिगा से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी लखन लोधी को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-7, सहपठित धारा-8 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। प्रकरण में प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी मनोज पटैल ने की।
मीडिया प्रभारी जिला लोक अभियोजन सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि छह नवंबर 2019 को अभियोक्त्री ने रिपोर्ट लेख कराई कि वह आज रात करीब आठ बजे प्रेस के लिए आग के अंगारे लेने के लिए पड़ोस की सामने वाली भाभी के घर गई थी, जहां लखन लोधी भी मौजूद था, जो उससे बोला कि घर के पीछे अंगारे है, तब वह घर के पीछे जाकर थाली में अंगारे भरने लगी, तभी लखन लोधी दूसरी तरफ से अपने घर के पीछे पहुंचा और उसका हाथ बुरी नियत से पकड़ लिया और छेड़छाड़ करने लगा। तब अभियोक्त्री ने उसे धक्का देकर भागकर अपने घर आकर अपनी मां को घटना बताई, उसने व उसकी मां ने उक्त बात रिश्ते के भाई व भाभी को बताई, जिन्होंने घर के सामने जाकर लखन को बुलाया, तो लखन लोधी उसे व उसकी मां को गाली गलौच कर जान से मारने की धमकी देने लगा। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना राहतगढ़ पुलिस द्वारा धारा धारा 354, 294, 506 भाग-दो भादंसं व पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 7, सहपठित धारा-8 भादंवि का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर के न्यायालय ने आरोपी को धारा 354 भादंवि के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-7 सहपठित धारा-8 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है।