न्यायालय ने आरोपी पर कुल 20 हजार का जुर्माना भी लगाया
सागर, 30 सितम्बर। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्री शिवबालक साहू के न्यायालय ने फर्जी अंकसूची के आधार पर सहायक प्राध्यापक का पद पाने वाले आरोपी संतोष पुत्र परमलाल अहिरवार उम्र 39 वर्ष हाल निवासी अहमद नगर का बगीचा, वृंदावन वार्ड सागर को दोषी पाते हुए धारा 420 भादंवि में दो वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 471 में तीन वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक आशीष गोपाल चतुर्वेदी ने की।
जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि 26 अगस्त 2016 को आवेदक/ फरियादी डॉ. अनिल किशोर पुरोहित ने जन शिकायत प्रकोष्ठ के माध्यम से पुलिस अधीक्षक जिला सागर को इस आशय का लिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में वर्ष 2012-13 में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक संतोष कुमार अहिरवार ने अपने आवेदन में निर्धारित योग्यता के संबंध में बीसीजे की फर्जी अंकसूची प्रस्तुत कर अनुचित आधार पर सहायक प्राध्यापक का पद प्राप्त किया। जबकि फरियादी डॉ. अनिल विभागीय मैरिट सूची में प्रथम स्थान पर था। उसे दो जून 2016 को उक्त जानकारी मिली, जिस पर से विश्वविद्यालय के कुलपति को अभ्यावेदन दिया गया। कुलपति द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर पुन: 22 जुलाई 2016 को लिखित शिकायत की गई कि संतोष द्वारा विश्वविद्यालय में प्रस्तुत की गई बीसीजे की अंकसूची फर्जी है तथा उसकी असल अंकसूची अनुसार वह अनुत्तीर्ण है, फर्जी अंकसूची के आधार पर संतोष कुमार ने सहायक प्राध्यापक के पद पर अवैध नियुक्ति प्राप्त की है, संतोष कुमार के सेवा रिकार्ड में बार-बार अंकसूची बदलने का प्रयास किया गया, सेवा पुस्तिका की प्रति आरटीआई के माध्यम से फरियादी डॉ. अनिल को तत्कालीन कुल सचिव के हस्ताक्षर से प्राप्त हुई थी, जो बाद में डोफा कार्यालय के रिकार्ड में नहीं पाई गई। संतोष कुमार की अंकसूची का वैरिफिकेशन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से कराया गया था, जिसमें पाया गया कि संतोष कुमार बीसीजे 2008 में छटवें सेमिस्टर में अनुत्तीर्ण हैं। फरियादी की उक्त शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उक्त आवेदन पत्र पर थाना सिविल लाईन द्वारा जांच की गई। जांच उपरांत यह बात सामने आई कि वर्ष 2012-13 में पत्रकारिता एवं जनसंचार में सहायक प्राध्यापक के पद पर संतोष कुमार अहिरवार द्वारा बेचुलर ऑफ जर्नलिज्म की फर्जी अंकसूची के आधार पर नियुक्ति की गई, जिसमें संतोष अहिरवार द्वारा जो अंकसूची पेश की गई थी उसका सत्यापन विश्वविद्यालय भोपाल से करवाया गया। जिनके द्वारा रिपोर्ट में उक्त अंकसूची जारी नहीं किया जाना पाया था। अत: फर्जी अंकसूची पेश करने के आधार पर सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त होना पाया गया। थाना सिविल लाईन में अपराध पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किए गए। अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित की गई। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विधि अधिकारी से पूछताछ कर महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित की गई। विवेचना के दौरान आरोपी संतोष अहिरवार से पूछताछ कर जब्ती की कार्रवाई कर उसको गिरफ्तार किया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित पाए जाने पर न्यायालय ने आरोपी संतोष अहिरवार को धारा 420, 471 भादंवि में दोषी पाते हुए कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा से दण्डित करने का निर्णय पारित किया है।