प्रशासन ने की पर्याप्त व्यवस्थाएं, समाजसेवियों ने लगाए जलपान के स्टाल
भिण्ड, 06 सितम्बर। दंदरौआ धाम में बुढ़वा मंगलवार को पांच लाख से अधिक लोगों ने दर्शन किए। पिछले साल कोविड की वजह से संख्या काफी कम रही थी, लेकिन इस साल भक्तों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। इस बार बुढ़वा मंगल पर करीब 12 से 14 लाख लोगों द्वारा दंदरौआ धाम में डॉक्टर हनुमान के दर्शन किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। दंदरौआ धाम में मन्दिर परिसर के बाहर एवं रास्ते में जगह-जगह भण्डारे के आयोजन किए गए। लोगों को भगवान की प्रसादी वितरित की गई। मन्दिर को अद्भुत सजाया गया, साथ ही सखी रूप हनुमानजी का मनोहारी श्रृंगार किया गया।
बुढ़वा मंगल के अवसर पर दर्शन के लिए सोमवार को शाम ढलते ही मेहगांव और भिण्ड की ओर से कई टोलियां दंदरौआ धाम की ओर रवाना हो गई थीं। भक्तगणों ने मन्दिर पहुंचकर डॉक्टर हनुमान के दर्शन किए और श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत श्री रामदास महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। मन्दिर परिसर में फूल बंगला की सजावट मनोहारी सजावट की गई। सोमवार की रात 12 बजे से हनुमान मन्दिर के पट दर्शन के लिए खोल दिए गए थे। इसके बाद सुबह तक और मंगलवार को देर शाम तक दर्शनों का सिलसिला चलता रहा। धाम से जुड़े लोगों के अनुसार इस बार बुढ़वा मंगल पर करीब 12 से 14 लाख लोगों द्वारा दंदरौआ धाम में डॉक्टर हनुमान के दर्शन किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास महाराज ने बताया कि बुढ़वा मंगलवार को विशेष सखी रूप में बजरंग बली को सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब लंका में मां सीता की खोज में हनुमानजी समंदर लांघकर गए थे, तो अशोक वाटिका में वह सखी रूप में माता के पास पहुंचे थे। अंत में मां सीता ने हनुमानजी को चिरंजीवी रहने का वरदान दिया था, इसलिए हनुमानजी अजर अमर हैं।
जगह-जगह लगे भण्डारे
दंदरौआ की ओर जाने वाले श्रृद्धालुओं ने सोमवार की शाम से ही पैदल जाना आरंभ कर दिया है। कई श्रृद्धालु रात में ही दंदरौआ पहुंच जाने की संभावना है। श्रृद्धालुओं के लिए समाजसेवियों ने चाय, नाश्ता, दूध, फलाहार, पेयजल आदि के स्टाल लगाए हैं। जहां श्रृद्धालुओं को चाय नाश्ता कराया जाएगा।
मन्दिर से दो किमी दूर रोके वाहन
धाम के प्रवक्ता जलज त्रिपाठी ने बताया कि दंदरौआ मन्दिर पहुंचने के लिए तीन पहुंच मार्ग बनाए गए, इनमें मौ की ओर से आने वाले घमूरी, मेहगांव की ओर से आने वाले चिरौल एवं गोहद इलाके से आने वाले मडऱौली की ओर से मंदिर पहुंचे। यातायात में परेशानी नहीं आए इस दृष्टि से उक्त गांवों पर ही चार पहिया वाहन रोके गए। श्रृद्धालु वहां से पैदल मन्दिर परिसर पहुंचे। उधर दो पहिया वाहनों से आने वाले श्रृद्धालुओं को राहत प्रदान की गई। हालांकि दो पहिया वाहन मन्दिर परिसर के पास नहीं पहुंचे, उन्हें कुछ दूरी पर ही रोककर खेतों में पार्क करवा दिए जाने की व्यवस्था की गई।