भिण्ड, 30 अक्टूबर। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शा. एमजेएस महाविद्यालय भिण्ड में गुरुवार को प्राचार्य डॉ. आरए शर्मा के मार्गदर्शन कार्यशाला का आयोजन स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ और राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. आरए शर्मा ने बताया इंटरनेट या कंप्यूटर तकनीक का इस्तेमाल करके आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर ऑनलाइन विनाश के आम तौर पर बड़े पैमाने पर अंजाम दिए जाते हैं, जैसे कि बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना और विनाशकारी खराबी पैदा करना, गोपनीय जानकारी चुराना, या राजनीतिक या सांस्कृतिक निहितार्थों वाला दुष्प्रचार फैलाना, साइबर आतंकवाद के मामले लगाता जटिल होते जा रहे हैं, जिससे साइबर सुरक्षा और संरक्षण की मांग बढ़ रही है। प्रो. अभिषेक यादव ने बताया कि साइबर सुरक्षा व्यक्तियों, व्यवसायों और संगठनों को डेटा उल्लंघन, पहचान की चोरी और अन्य ऑनलाइन खतरों से बचाकर महत्वपूर्ण है। यह संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करती है, जिससे ग्राहकों का विश्वास बढ़ता है और यह डेटा गोपनीयता कानूनों का पालन करने के लिए आवश्यक है। जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार होता है, साइबर हमले अधिक जटिल और महंगे होते जाते हैं, जिससे साइबर सुरक्षा एक अनिवार्य आवश्यकता बन जाती है।
प्रो. मोहित कुमार दुबे ने बताया कि साइबर अपराध को साइबर अपराधियों द्वारा की जाने वाली विभिन्न प्रकार की अवैध गतिविधियों का एक समूह माना जाता है। इनमें हैकिंग, फिशिंग, पहचान की चोरी, रैंसम वेयर और मेलवेयर हमले आदि शामिल हैं। साइबर अपराध की पहुंच की कोई भौतिक सीमा नहीं है। अपराधी, पीडि़त और तकनीकी ढांचा दुनिया भर में फैला हुआ है। व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर सुरक्षा कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए तकनीक के इस्तेमाल से, साइबर अपराध कई रूप लेता है और लगातार विकसित होता रहता है। बदले में, साइबर अपराधों की प्रभावी जांच, अभियोजन और रोकथाम की क्षमता कई गतिशील चुनौतियों के साथ एक सतत संघर्ष है।
प्रो. सुधा नरवरिया ने बताया कि साइबर अपराध व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारी संस्थाओं के लिए एक गंभीर खतरा है और इसके परिणामस्वरूप भारी वित्तीय नुकसान, प्रतिष्ठा को नुकसान और रिकार्ड की हानि हो सकती है। जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है और ज्यादा से ज्यादा लोग मानक कार्यों के लिए डिजिटल उपकरणों और नेटवर्क पर निर्भर हो रहे हैं, साइबर अपराध का खतरा लगातार बढ़ रहा है, जिससे इससे बचाव के लिए कदम उठाना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। डॉ. अनिता बंसल ने मंच संचालन किया और बताया जैसे-जैसे साइबर अपराधों से जुड़ी कुल लागत और जोखिम बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे रोकथाम प्रणालियों और तकनीकों को लगातार लागू करने, निगरानी करने और उन्नत करने की ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है। विदेशी दुश्मनों, आतंकवादियों और रोजमर्रा के धोखेबाजों के बीच, साइबर हमले ज्यादा चालाक और परिष्कृत होते जा रहे हैं। कार्यशाला के अंत में शपथ ग्रहण की गई और भविष्य में होने साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक होने के लिए प्रण लिया गया।







