दो क्विंटल फूलों और दो क्विंटल फलों से हुआ शंकराचार्य का अभिषेक, देशभर से पहुंचे शिष्य

भिण्ड, 24 सितम्बर। अटेर क्षेत्र के परा गांव में चल रही जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज के श्रीमुख से श्रीराम कथा के तीसरे दिन शंकराचार्य महाराज का जन्मदिन भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सुबह इटावा जिले में पदस्थ सीओ बलराम मिश्रा ने अन्य भक्तों के साथ मिलकर 251 कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर उनका पूजन और कन्या भोज किया। दोपहर में बाहर से आए और स्थानीय भक्तों ने शंकराचार्य जी का पादुका पूजन कर माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया। जिसके बाद शंकराचार्य महाराज के श्रीमुख से श्रीराम कथा भक्तों को सुनाई गई।
कथा के बाद आरती के पश्चात भक्तों द्वारा दो क्विंटल गुलाब के फूलों और दो क्विंटल सेव और केला के फलों से शंकराचार्य महाराज का अभिषेक उनके जन्मदिन के सुअवसर पर किया गया। भक्तों ने शंकराचार्य महाराज का अभिषेक कर नाचते गाते हुए शंकराचार्य का जन्मदिन मनाया।
प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रसन्नता पूर्वक कार्य करते रहना ही सबसे बड़ी तपस्या : शंकराचार्य

श्रीराम कथा के तीसरे दिन शंकराचार्य ने श्रीराम के वन गमन और वनवास के दौरान दी गई शिक्षा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन हमें शिक्षा देता है कि प्रतिकूल से प्रतिकूल परिस्थिति, वस्तु, व्यक्ति, घटना आने पर भी व्यक्ति प्रसन्नता पूर्वक अपने कर्तव्य का पालन करता रहे, अपने कर्तव्य से थोड़ा सा भी विचलित न हो तो यह सबसे बड़ी तपस्या है। यही तपस्या शीघ्र सिद्धि देने वाली होती है। जिस प्रकार गांव भर की गंदगी, गोबर, कूड़े को बाहर एक जगह इकट्ठा कर दिया जाए तो वह बुरा लगता है, परंतु वही गोबर, कूड़ा करकट खेत में पड़ जाए तो खाद के रूप में खेती के लिए उपजाऊ सामग्री बन जाता है। इसी प्रकार प्रतिकूलता बुरी तो लगती है और उसे हम कूड़े-करकट की तरह फेंक देते हैं। अर्थात उसे महत्त्व नहीं देते, परंतु वही प्रतिकूलता अपना कर्तव्य-पालन करने के लिए अच्छी सामग्री है। इसलिए प्रतिकूल से प्रतिकूल परिस्थिति को सहर्ष सहने के समान दूसरा कोई तप नहीं है। सांसारिक भोगों में आसक्ति रहने से अनुकूलता अच्छी और प्रतिकूलता बुरी लगती है। इसी कारण प्रतिकूलता का महत्व समझ में नहीं आता। जिस प्रकार सोना प्रतिकूल परिस्थितियों में तपकर ही आभूषण बनकर शोभा बढ़ाता है उसी प्रकार प्रतिकूलता में रह चुका व्यक्ति समाज के लिए आभूषण के समान होता है।