एसडीएम ने अपील की खारिज, तहसीलदार न्यायालय का आदेश यथावत

– मामला लहार में पूर्व विधायक डॉ. गोविन्द सिंह की कोठे के अतिक्रमण का

भिण्ड, 24 अगस्त। पूर्व विधायक डॉ. गोविन्द सिंह के पुत्र अमित प्रताप सिंह ने सरकारी जमीन एवं रास्ते पर अतिक्रमण कर बनाई गई कोठी के मामले में तहसीलदार न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के विरुद्ध एसडीएम न्यायालय लहार में अपील की थी, जिस पर एसडीएम ने सभी तथ्यों की समीक्षा के बाद तहसीलदार न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को उचित ठहराते हुए अमित प्रताप सिंह द्वारा दायर अपील को निरस्त कर दिया है।
प्रकरण का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि अपीलकर्ता अमित प्रताप सिंह ने न्यायालय तहसीलदार लहार के प्रकरण क्र.0066/अ-12/2024-25 में किए गए सीमांकन पुष्टि आदेश 12 सितंबर 2024 के विरुद्ध मप्र भू-राजस्व संहिता की धारा 129(5) के तहत अपील पेश की थी। उक्त आक्षेपित आदेश में मौजा लहार की आराजी क्र.2715 का सीमांकन दल द्वारा किए गए सीमांकन की पुष्टि की गई थी। उक्त धारा 129(5) में स्पष्ट किया गया है कि उपधारा (4) के अधीन सीमांकन रिपोर्ट की पुष्टि से व्यथित पक्षकार किस आधार पर उपखण्ड अधिकारी को अपास्त करने हेतु आवेदन कर सकेगा कि उसे उपधारा (2) के अधीन अपेक्षित सूचना नहीं दी गई थी या धारा (4) के अधीन सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था या कोई अन्य पर्याप्त आधार पर अधीनस्थ न्यायालय द्वारा उपधारा (2)(4) के तहत कार्रवाई की गई।
अपीलकर्ता को अधीनस्थ न्यायालय में सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया गया है। उक्त सीमांकन की कार्रवाई शासकीय भूमि से संबंधित होने से किसी सीमांकन शुल्क जमा करने की बाध्यता नहीं है। सीमांकन दल द्वारा विधिवत सर्वे नं.2681 व उसके समीप नक्शे में निर्मित स्थाई कुआ को मुख्य बिन्दु के रूप में चिन्हित कर सीमांकन किया गया है। आवेदनकर्ता जिन आधारों पर धारा 129(5) के तहत इस न्यायालय में अभ्यावेदन पेश किया है उससे संबंधित सभी कार्रवाई एवं सुनवाई अधीनस्थ न्यायालय द्वारा विधिवत की जाकर निराकरण किया गया है। मामला पूर्वग्रह से संबंधित नहीं होकर सार्वजनिक हित का है। सीमांकन किसी निजी स्वत्व की भूमि का न होकर शासकीय भूमि का है, इसलिए शुल्क जमा करने की अनिवार्यता नहीं है। जहां तक पूर्व में हुए सीमांकन के संबंध में आपत्ति है तो वह इस प्रकरण से संबंधित नहीं है। उक्त प्रकरण से संबंधित नगर पालिका लहार एवं शासन पक्षकार के विरुद्ध कोई आदेश सिविल न्यायालय के द्वारा पारित होना नहीं पाया जाता है। आराजी क्र.2711, 2715 के नक्शा में त्रुटि के संबंधन में यह स्पष्ट है कि भूमि नगरीय क्षेत्र की है, जिसका नक्शा 1942-43 से यथावत है, इसके बाद से कोई बंदोवस्त नगरीय क्षेत्र का नहीं हुआ है। नक्शा में त्रुटि होने की आपत्ति प्रमाणिक नहीं है।
इसलिए उक्त विवेचना के तहत अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन अंतर्गत धारा 129(5) सारहीन एवं आधारहीन होने से स्वीकार योग्य नहीं है, जो अस्वीकार किया जाता है। साथ ही अधीनस्थ न्यायालय तहसीलदार लहार द्वारा पारित सीमांकन पुष्टिकृत आदेश 12 सितंबर 2024 हस्तक्षेप योग्य न होने से यथावत रखा जाता है।