ज्ञान से ही व्यक्ति का सम्मान तथा पहचान होती है : विराग सागर

भिण्ड, 20 जून। गणाचार्य विराग सागर महाराज की प्रेरणा से कीर्तिस्तंभ दिगंबर जैन मन्दिर में शास्त्र स्थापन महोत्सव का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर गणाचार्य विराग सागर महाराज ससंघ शास्त्र के साथ चैत्यालय जैन मन्दिर से कीर्तिस्तंभ पहुंचे। वहां श्री जिनेन्द्र देव का अभिषेक पूजन किया गया साथ ही जिनवाणी (सरस्वती) व गुरू पूजन भी संगीत के साथ बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुई। आचार्यश्री ने कहा कि ज्ञान से व्यक्ति का सम्मान है, ज्ञान से ही व्यक्ति की पहचान है ज्ञान बिना जीवन शून्य है ज्ञान की प्राप्ति मात्र पुस्तक पढऩे से नहीं अपिुत श्रुत शास्त्र सेवा से होती है। उन्होंने कहा कि अनपढ़ एक ग्वाला ने मुनिराज को एक शास्त्र भेंट किया था जिसके फलस्वरूप अगले जन्म में वह कुंद-कुंद जैसे महान आचार्य बने। आज भी जिनवाणी अर्थात जिनेन्द्र भगवान के मुख से निकली वाणी शास्त्र दान का वैसा ही फल प्राप्त होता है बशर्ते वह दान सपात्रों को दिया जाए। हमारे शास्त्रों में समस्त जिनवाणी को 12 अंगों में विभक्त किया गया है, इसके एक एक अंग में इतना ज्ञान है कि उसका पार पाना बड़ा कठिन है। इसिलए हम सभी जिनवाणी की सेवा सुरक्षा करके अपने ज्ञान को बढ़ाएं।