भिण्ड, 26 मई। गीता के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए चलाए जा रहे घर घर गीता का प्रचार हो, अभियान के अंतर्गत सती बाग, वनखण्डेश्वर रोड पर गीता स्वाध्याय मण्डल मेहगांव द्वारा गीता स्वाध्याय पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुई। स्वाध्याय पत्र एवं सुभाषित का वाचन विश्व गीता प्रतिष्ठानम के जिला प्रभारी विष्णु कुमार शर्मा ने एवं सरस्वती वंदना मेहगांव प्रभारी संजीव कुमार शुक्ला ने की। प्रेरक प्रसंग की प्रस्तुति अजय दुबे ने दी।
गीता के विद्वान रघुराज दैपुरिया ने गीता के चौथे अध्याय के प्रथम श्लोक से 11वे श्लोक तक की व्याख्या की। प्रथम श्लोक में बताया कि अक्षर रूप ईश्वर ने यह योग प्रकट किया। उन्होंने यह योग सूर्य को दिया, सूर्य ने मनु को और मनु ने ईक्षवाकु को दिया। योग का तात्पर्य दिव्य चक्षु योग, समत्व योग, इसी का नाम बुद्धि योग भी है, इसके बगैर अनन्य भक्ति प्राप्त नहीं होती, यह योग कि परिभाषा है। यह परंपरा राज-ऋषियों तक आई, राज-ऋषियों ने भोग की प्राथमिकता से योग लुप्त कर दिया। भगवान कृष्ण ने कहा है कि हे अर्जुन! वही ये पुराना योग (दिव्य चक्षु योग) तुम्हें दे रहा हूं, तू भक्त है, सखा है इसलिए श्रेष्ठ भेद दे रहा हूं। अर्जुन ने प्रश्न किया कि तुम तो अब जन्मे हो मैं कैसे जानू कि यह योग सूर्य को दिया, क्योंकि सूर्य नारायण पहले हो चुके हैं, क्योंकि भगवान अक्षर ब्रह्म का पद लेकर आते हैं। पतंजलि में भी प्रथम पाद के 27वे सूत्र में तस्य वाचक प्रणव नाम से कहा गया है, प्रणव नाम ईश्वर का ही है। अर्जुन देह रूप से भगवान कृष्ण को जान रहा था न कि ईश्वर पद से, इस कारण उपरोक्त भ्रम हुआ। ईश्वर पद से अवतरित विशेष पुरुष ही धर्म की स्थापना करता है, यह बात भगवान ने चौथे अध्याय के सातवे और आठवे अध्याय में कही है। अंत में मूल विषय गीता अध्याय चार के नौवे श्लोक में भगवान ने कहा है जो मेरा जन्म-कर्म दिव्य तत्व रूप से जानता है वह देह छोडकर भी पुनर्जन्म को प्राप्त नहीं होता, वह मुझमें ही मिलता है।
जिला प्रभारी ने उपस्थित सभी जनों से नियमित गीता पाठ करने का आह्वान किया। संजीव कुमार शुक्ला को मेहगांव स्वाध्याय मण्डल का प्रभारी नियुक्त किया गया। पार्षद बाल किशन बघेल ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण एवं दक्षिणा देकर स्वागत किया। अंत में गीता जी की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर धरम सिंह भदौरिया, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, डॉ. बादशाह सिंह गुर्जर, रमेश शुक्ला, बालकिशन श्रीवास, रिंकू टीकैत, पप्पू डंडोतिया, महिलाएं तथा बच्चे उपस्थित रहे।