जिले में तालाबों पर कब्जा करने में भू माफिया चुस्त, प्रशासन सुप्त

भिण्ड, 17 मई। आज पूरा विश्व जल संकट से जूझ रहा है, संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, इसलिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर जन जागरुकता कार्यक्रम चला रही हैं। जल गंगा संरक्षण अभियान के तहत रैलियां निकाली जा रही हैं, लेकिन भिण्ड जिले की स्थिति इससे बिल्कुल अलग है। गौचर और मन्दिरों की जमीन की तरह भू-माफियों की नजर तालाबों पर है। आए दिन तालाबों को तोडकर कब्जा किया जा रहा है, विरोध करने पर झगडे होते हैं।
भू-माफियों की राजनैतिक पकड होने के कारण जिला प्रशासन चाहते हुए भी सख्त कार्रवाई करने में असहाय हो जाता है। ऐसा ही एक प्रकरण ग्राम परा का आया है, जिसे जल संरक्षण अभियान के तहत लगभग 200 वर्ष पुराने तालाब का जीर्णोद्धार कर सन 2008 में बडा तालाब बना दिया गया। 2008 से लेकर 2023 किसी को कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन भू-माफियों की नजर इस तालाब पर थी। उन्होंने इसे खोदकर तालाब का अस्तित्व समाप्त करके फसल बो डाली। जब एसडीएम अटेर के संज्ञान में यह बात आई तो उन्होंने तहसीलदार को जांच करने के लिए लिखा कि यह तालाब निजी भूमि में है या सरकारी एवं पीएचई को लिखा कि पीएचई विभाग ने किस आधार पर बनबाया यदि पीएचई विभाग ने बनाया था तो यह पीएचई विभाग की प्रोपर्टी है। तो तालाब तोडने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
पीएचई विभाग ने बताया कि हमने अटेर थाने में रिपोर्ट की है लेकिन थाना प्रभारी कार्रवाई करने में डर रहे हैं। पीएचई विभाग का कहना है कि विभाग ने ग्राम पंचायत के प्रस्ताव ठहराव के आधार पर तालाब बनाया था। किसी भी किसान ने विरोध नहीं किया था। अगर तालाब निजी भूमि में बनाया गया है तो राजस्व के अधिकारी से आदेश कराने के बाद तोडना चाहिए था। भू-माफियों ने तालाब तोडकर सार्वजनिक हित में बनाए गए तालाब को तोडकर कानूनी भूल की है।