ग्वालियर, 23 जनवरी। लाल टिपारा स्थित गौशाला में बुधवार की दोपहर अनोखी शादी संपन्न हुई। यहां छतरपुर की अंजलि और ग्वालियर के अंशुमन ने डेस्टिनेशन बेडिंग की है। मेहमानों के बैठने के लिये घास के सोफे बनाये गये। पूरे परिसर में गोबर से लिपाई-पुताई की गयी। मण्डप भी प्राचीन संस्कृति के आधार पर तैयार किया। बैलगाडी आई। मण्डप में वैदिक ब्राहम्णों ने विवाह संपन्न कराया।
वैदिक परंपरा के अनुसार भोजन परोसा
शादी में शामिल होने के लिये आये मेहमानों के खाने के वैदिक तरीके से भोजन बनाया गया था। भोजन में आलू मटर, मिक्स सब्जी, पुडी, मटर पुलाव, मीटे में गुलाब जामुन और बाजरे की खीर बनाई गई थी। जिसे मेहमानों ने बडे चाव से खाया। आदर्श गौशाला की गायों के लिए वर-वधु की ओर से चारे के रूप में टमाटर, गोभी, पत्ता गोभी गाजर, और घास की 5 ट्रॉली दान की गई है।
संस्कृति और सादगी के विवाह संपन्न
गौशाला के संत ऋषभ देवानंद महाराज ने बताया है कि आज के दौर में लोग महंगे शहरों, होटल और विदेश को मैरिज डेस्टिनेशन के तौर पर चुनते है। जहां लाखों रूपये का फिजूलखर्ची होती है। लेकिन गवालियर की गौशाला में शांति, सादगी और संस्कृति के तहत विवाह की शुरुआत हुई है। यह देश का पहला ऐसा स्थान बन गया है जहां वैदिक डेस्टिनेशन वेडिंग समेत अन्य कार्यक्रमों का आयोजन अब आगे भी होता रहेगा।
गौमाता के साथ अग्नि भी साक्षी बनी
दूल्हें अंशुमन ने बताया कि विवाह एक यज्ञ है। ऐसे में हमने गौमाता के स्थान पर विवाह किया है। हमारे विवाह में अब अग्नि के साथ गौमाता भी साक्षी बनी है। वधू अंजलि ने बताया है कि मुझे गौशाला अच्छी लगी इसलिये मैंने शादी के लिए हां कहा है।