भिण्ड, 30 दिसम्बर। कविता का कविता का उद्देश्य न सिर्फ मनोरंजन करना है, अपितु इसे जनकल्याण का पक्षधर होना चाहिए। शब्द ब्रह्म होता है, शब्द की शक्ति असीम है, जिसने शब्द की साधना करना सीख लिया, सही मायने में वही विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती का वरद पुत्र है। यह बात संत विजयगिरी महाराज आश्रम अमायन में आयोजित उजास कवि सम्मेलन के दौरान मंच का संचालन करते हुए डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने कही। कवि सम्मेलन का आयोजन संत विजयगिरी महाराज शिष्य मण्डल अमायन ने किया।
निराला ने कहा कि कवि को निर्भीक होकर समसामयिक मुद्दों के साथ-साथ कालजयी रचनाएं करना चाहिए। कविता कोई सामान्य विषय नहीं है, इसके लेखन के विषय में डॉ. रामविलास शर्मा ने कहा है कि वह हिन्दी का लेखक था, खून सुखाकर लिखता था…। खून सुखाकर लिखने का तात्पर्य है कि हम वर्ण, शब्द, अर्थ, रस, छंद, अलंकार इन तमाम तत्वों का समावेश करते हुए कविता को जनसाधारण का प्रवक्ता कुरीतियों पर प्रहार करने वाला सशक्त हथियार बनाएं। इस अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा व्यास पं. अभिषेक महाराज मंचासीन रहे।
कवि सम्मेलन में सतेन्द्र सिंह बबेडी भिण्ड, सत्यदेव सिंह नरवरिया मेहगांव, डॉ. मनीषा गिरी दिल्ली, रवि बघेल ग्वालियर, सबल सिंह मेहगांव तथा बलराम बघेल अमायन ने कविता पाठ किया। इस मौके पर वृन्दावन सिंह शिक्षक, जितेन्द्र पचौरी अमायन, सौरभ चौधरी आंतों, अरविंद सिंह चौहान मदनपुरा, गुड्डू सर अमायन, यदुवीर सिंह पवैया जारेट, सौरभ चौधरी आंतों, जयसिंह मदनपुरा, शिशुपाल सिंह गुरुजी पिपरौआ, पवन राजौरिया अमायन, रामावतार शर्मा बिलाव अमायन, सुरेन्द्र सिंह प्राचार्य मेहरा, धर्मेन्द्र सिंह बूढे सहित अमायन चौरासी क्षेत्र के अनेक नागरिक शामिल हैं।