– अशोक सोनी ‘निडर’
जिस तरह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों का भारत के लिए महत्व अतुलनीय है। उसी तरह देश की सीमा पर मां भारती के चरणों में हंसते हंसते अपना बलिदान देने बाले अमर शहीदों और उनके परिजनों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। ये वंशज उस वीरता, साहस और बलिदान की ज्वलंत प्रतीक हैं जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। उनके पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया और अब उनके वंशज इस गौरवशाली विरासत को जीवित रखने का कार्य कर रहे हैं।
इन वंशजों में वह संकल्प और साहस का बीज होता है, जो उन्हें अपने पूर्वजों की तरह राष्ट्रहित के लिए निस्वार्थ सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। वे भारतीय समाज में देशभक्ति, त्याग और संघर्ष की महत्ता को नई पीढिय़ों तक पहुंचाने का काम करते हैं। आज भी भारत को ऐसे व्यक्तित्वों की आवश्यकता है जो राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा के लिए तत्पर रहें, और भारतीय संस्कृति व स्वतंत्रता के मूल्य को बनाए रखें। इन स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीद वंशजों की उपस्थिति एक जीता-जागता स्मरण है कि हमारी स्वतंत्रता का मूल्य कितना अधिक है, और इसे बनाए रखने के लिए निरंतर संघर्ष और जागरूकता की आवश्यकता है। यह वीरता की ज्वाला उन्हें देश के प्रति अटूट निष्ठा और साहस से प्रेरित करती है, जो भारत को और भी सशक्त, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरने में सहायक है।
साथियों, आज हम सब संकल्पित भाव से प्रण करें कि जब तक शरीर में खून की एक बूंद भी रहेगी हम अपने राष्ट्र और राष्ट्र देवताओं द्वारा सौंपी गई विरासत और राष्ट्र गौरव की रक्षा करते रहेंगे। सांस का हर सुमन है वतन के लिए, जिंदगी है हवन अब वतन के लिए। खून से जिनके सींचा गया ये चमन, है हमारा नमन उस चमन के लिए।।