सागर, 28 नवम्बर। तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत नेे नाबालिगा को शादी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर भगा ले जाने एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त वीरन उर्फ वीरेन्द्र पटैल को धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका की मां) ने 17 मार्च 2021 को थाना राहतगढ में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 16 मार्च को रात्रि करीब 11 बजे बालिका बिना बताए घर से कहीं चली गई एवं तलाश करने पर उसका कोई पता नहीं चला, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। 23 मार्च को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथन में अभियुक्त वीरन उर्फ वीरेन्द्र द्वारा शादी का झांसा देकर उसे बहला फुसलाकर भगा कर इंदौर ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म करना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने में प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना राहतगढ पुलिस ने धारा 366ए, 376(1), 376(2)(एन), 506 भादंसं, धारा 3/4, 5एल/6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(आईआई), 3(2)(व्ही) अजा व अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।