कहीं अनिता की हाय न लग जाए कृषि मंत्री को

– कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को कई सालों से नहीं मिला वेतन

ग्वालियर, 12 नवम्बर। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में दिमनी विधानसभा क्षेत्र में उलझ गए हैं, हालांकि आम धारणा ये है कि उन्हें जानबूझकर इस रण में उलझाया गया है। लेकिन इस चुनाव में पार्टी का आंतरिक असंतोष, जातीय गणित के अलावा उन्हीं के मंत्रालय के एक वरिष्ठ वित्त अधिकारी की पत्नी अनिता की हाय भी नरेन्द्र सिंह को परेशान कर रही है। अनिता के पति को पिछले अनेक वर्षों से वेतन नहीं मिला है। आरोप है कि कृषि मंत्री के एक ओएसडी इसके पीछे हैं, किन्तु अनिता की सुनवाई न कोई आला अफसर सुन रहा है और न खुद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर।
दिल्ली की अनिता के पति अरविंद कुमार कृषि मंत्रालय के अधीन आईसीएआर संस्थान में वरिष्ठ वित्त और लेखा अधिकारी हैं। उनकी गलती ये है कि वे ईमानदार हैं और इस हद तक ईमानदार हैं कि उन्हें बीमार समझा जाता है। उन्होंने संस्थान में करोडों के भ्रष्टाचार को उजागर करने की गलती 2004 में कर दी। तब केन्द्र में कांग्रेस कि सरकार थी। इस भ्रष्टाचार में चूंकि नीचे से ऊपर तक के कर्मचारी-अधिकारी उलझे हुए थे सो सब अरविंद के खिलाफ एकजुट हो गए। सभी ने मिलाकर संसथान की एक निर्णायक इकाई संयुक्त कर्मचारी परिषद को ही अरविंद के खिलाफ हथियार बना लिया।
अरविंद को डराने के लिए सबसे पहले जुलाई 2004 में उनके ऊपर शारीरिक हमला किया गया। मामला पुलिस तक पहुंचा। अदालत ने आरोपियों को सजा भी सुनाई, लेकिन संसथान ने दोषियों कि केवल एक साल के लिए वेतनवृद्धि रोकी, वो भी पूरे 16 साल बाद अरविंद चूंकि आरएसएस के तृतीय वर्ग प्रशिक्षित प्रचारक भी हैं, सो उन्होंने 2014 में भाजपा की सरकार बनते ही पूरे मामले कि शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को कर दी। संस्थान के प्रमुख डॉ. महापात्रा ने इसे अनुशासनहीनता माना और अरविंद को आरोप पत्र थमा दिया। उन्हें पहले मेजर पेनल्टी प्रोसिडिंग का सामना करना पडा, लेकिन जब वे नहीं झुके तो उन्हें यौन शोषण के एक फर्जी मामले में फंसा दिया गया। जबकि जांच में कोई शिकायतकर्ता कभी सामने नहीं आया। अरविन्द नहीं झुके तो उनका तबादला एनडीआरआई करनाल कर दिया गया।
ईमानदारी की बीमारी से ग्रस्त अरविंद ने इस संसथान में एक के बाद एक अनेक घोटाले पकड लिए। इनमें पशु आहार घोटाला, संविदा कर्मचारी घोटाला प्रमुख था। अधिकारियों ने मिलकर अरविंद का वेतन रोक दिया। अपनी ही सरकार में न्याय के लिए भटक रहे अरविंद को न प्रधानमंत्री कार्यालय से राहत मिली, न संसथान की तरफ से, उल्टे प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने मिलकर और प्रताडित करना शुरू कर दिया।
पूरे मामले की जानकारी केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को भी दी गई। अरविंद की पत्नी अनिता ने खुद तोमर को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन नक्कार खाने में तूती की आवाज कौन सुनता है? तोमर के ओएसडी कुलदीप सिंह राठौड ने अरविंद को उनका रुका हुआ वेतन दिलाने का भरोसा दिलाया, लेकिन बाद में वे भी अरविंद से इसके एवज में शुकराना मांगने लगे, वो भी थोडा नहीं पूरे पांच लाख रुपए। अरविंद ने इंकार किया तो उन्हें न्याय मिलने के लिए उन्हें दी जाने वाली प्रताडना और तेज कर दी गई। कुलदीप की भूमिका अप्रैल 2023 से शुरू हुई और अब तक जारी है। अरविंद का घर बिना वेतन के कैसे चल रहा होगा इसकी कल्पना करना आसान है, किन्तु केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर को ये बात समझ में नहीं आती। अरविंद के मामले की शिकायत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तक की गई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। अब अरविंद की पत्नी अनिता के दिल से केवल हाय निकल रही है। ये हाय कहीं कृषि मंत्री को न लग जाए, इस बात का डर है। अरविंद की पत्नी अनिता और कर भी क्या सकती है? उसे उम्मीद है कि एक न एक दिन ऊपर वाला उसकी गुहार अवश्य सुनेगा। अरविंद की पत्नी ने मंत्री जी के दरबार में 22 जून 2023 को अर्जी लगाई थी।