पीडिता के मुकरने के बाद भी वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर हुई दोषसिद्धि
सागर, 20 अक्टूबर। तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को दोषी करार देते हुए धारा 376(1) भादंवि के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
प्रकरण में पीडिता ने न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान घटना का समर्थन नहीं किया, परंतु प्रकरण में डीएनए रिपोर्ट पॉजीटिव प्राप्त हुई। न्यायालय ने वैज्ञानिक साक्ष्य एवं अन्य साक्षियों के साक्ष्य के आधार पर अपराध को अभियुक्त के विरुद्ध प्रमाणित पाया।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता के पिता) ने 25 जून 2021 को थाना बांदरी में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि पीडिता शाम करीब सात बजे शौच की कहकर घर से गई थी जो करीब एक घण्टे तक वापस घर नहीं आई, जिसकी तलाश आस-पास करने एवं दूसरे दिन रिश्तेदारी में करने पर कोई पता नहीं चला। किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पीडिता को बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। चार अगस्त 2021 को पीडिता के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथन में बताया कि अभियुक्त उसे बहला-फुसलाकर भगा कर ले गया और उसके साथ जबरजस्ती गलत काम किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना बांदरी पुलिस ने धारा 376(2)(एन) भादंसं एवं धारा 3/4, 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्हीए) अजा/ जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 198 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।