सागर, 18 अक्टूबर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा को बहला-फुसलाकर ले जाने वाले एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी संतोष लोधी को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) में आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका को क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता के पिता) ने 13 मार्च 2022 को थाना विनायका में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 12 मार्च को वह, उसकी पत्नी एवं लडकी (पीडिता) रात्रि मे खाना खाकर सो रहे थे, 13 मार्च के रात्रि दो बजे उसकी नींद खुली तो उसे बालिका (पीडिता) नहीं मिली, उसने अपनी पत्नी को जगाया और बालिका को आस-पास एवं रिश्तेदारों में तलाश की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। पीडिता के पिता ने अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। एक अप्रैल 2022 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथन में बताया कि अभियुक्त संतोष लोधी बहला-फुसलाकर उसे मडवरा ले गया था और वहीं पर अभियुक्त ने उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना विनायका पुलिस ने धारा 366, 376, 376(2)(द) भादंसं एवं धारा 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) अजा-जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 198 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।