सरकार बनाने और गिराने में सक्षम हैं दिव्यांग : बघेल

विकलांग बल द्वारा गांधी जयंती पर विचार संगोष्ठी आयोजित

भिण्ड, 03 अक्टूबर। गांधी जयंती के अवसर पर जिला मुरैना में विकलांग बल द्वारा एक दिवसीय विचार संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि विकलांग बल के प्रदेश सचिव व मीडिया प्रभारी प्रो. सौरभ बघेल तथा राष्ट्रीय विकलांग बल के उपप्रधान हेमंत सिंह कुशवाह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नवनियुक्त जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र एवं अतिथियों का आभार रजनीश दानोरिया व मोहित केन ने व्यक्त किया। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने महात्मा गांधी के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करके की।
इस अवसर पर प्रो. सौरभ बघेल ने कहा कि हम दिव्यांग बंधु समय-समय पर जिला एवं प्रदेश स्तर पर शासन-प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन देते आ रहे हैं कि दिव्यांग बंधुओं की मांगों को पूरा करें, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री ने हमारी एक भी मांग पूरी नहीं की है। हमें हमेशा नजरअंदाज ही किया गया है। समाज के हर वर्ग को महापंचायत में बुलाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री ने अभी तक अपने बेसहारा दिव्यांग बंधुओं की कोई महापंचायत नहीं बुलाई। विगत आठ सितंबर को दिव्यांग बंधुओं ने भोपाल में आंदोलन किया तो उनको आश्वासन दिया गया कि जल्दी ही आपको मुख्यमंत्री महापंचायत में बुलाएंगे। इससे पहले गुना में भी दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा को भी ऐसा ही वायदा करके रुकवाया गया, लेकिन आश्वासन केवल आश्वासन ही रह गया, अभी तक हमें नहीं बुलाया गया। अब मप्र के सभी दिव्यांगजन अपने हक की लडाई लडने को तैयार हैं। मप्र में करीब 15 से 17 लाख दिव्यांग बंधु हैं, जो सरकार बनाने और गिराने में हम भूमिका अदा करने में सक्षम हैं।

प्रदेश सचिव बघेल ने बताया कि हमारी औपचारिक मांगों पर सरकार ने अभी तक गौर नहीं किया है, जिसमें मप्र में दिव्यांगजनों की मासिक पेंशन मात्र 600 रुपए है, इतनी कम राशि में एक दिव्यांग का एक माह तक पेट भरना भी असंभव है, अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति होना तो दूर की बात है, इसलिए आपसे अपेक्षा है कि इस पेंशन को तीन हजार रुपए किया जाए, ताकि विकलांग कम से कम पेट भरकर खा सकें। मप्र में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए न्यूनतम अर्हता 50 प्रतिशत अंकों की है, इस कारण बडी संख्या में दिव्यांग इन परीक्षाओं में बैठने से वंचित रहते हैं, इसलिए इस अर्हता को घटाकर 40 प्रतिशत अंक किया जाए, ताकि अधिक दिव्यांगजन नौकरियों के लिए क्वालीफाई कर सकें। सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों के लिए चार प्रतिशत स्थान आरक्षित होते हैं, परंतु यह कोटा कभी पूरा नहीं भरा जाता है, इसलिए प्रत्येक जिले में दिव्यांगजनों के लिए उपयुक्त पदों की पहचान करके उनको भरने के लिए विशेष नि:शक्तजन भर्ती अभियान चलाया जाए।
राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले दिव्यांग खिलाडियों को सरकारी कार्यालयों में रोजगार दिया जाए। संसद, विधानसभा और जिला पंचायतों में दिव्यांगजनों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं होता, इसलिए प्रत्येक स्तर के चुनाव में पांच प्रतिशत स्थानों का आरक्षण दिव्यांगजनों के लिए किया जाए। दिव्यांग जनों की सबसे बडी समस्या शिक्षा प्राप्त करना है, सामान्य स्कूलों में उनकी पढ़ाई उचित प्रकार से नहीं हो पाती, इसलिए प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दिव्यांगों के लिए कम से कम एक हजार सीटों वाला एक आवासीय स्कूल अवश्य खोला जाए, ताकि वे उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकें और देश के योग्य नागरिक बन सकें। मप्र में दिव्यांगजनों को विद्युत बिल में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाए। दिव्यांग जनों के बच्चों को शासकीय एवं अशासकीय कोचिंग संस्थान में 50 प्रतिशत शुल्क में छूट दी जाए। दिव्यांग अधिनियम 2016 की हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी प्रत्येक छोटे-बडे सरकारी कार्यालय में तथा निजी कार्यालयों में भेजकर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, ताकि सभी लोग इस कानून में दिव्यांग जनों को दिए गए अधिकारों से अवगत हो सकें और उनका पालन कर सकें।