48 दिवसीय भक्तामर विधान मुनि के सानिध्य में चल रहा भक्तिमय गुणगान
भिण्ड, 11 अगस्त। हमें सदैव सकारात्मक सोच के साथ पुरुषार्थ करते रहना चाहिए। जिससे हमारा जीवन सार्थक हो जाए। क्योंकि जीवन पानी की बूंद के समान है। अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया, अंत समय में साथ नहीं देती माया, यह संसार का सबसे बढ़ा सत्य है। जो सत्य पर जीता है उसे ही पूजा जाता है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन्होंने विषम से विषम परिस्थिति में भी सत्य का साथ नहीं छोडा। मोक्ष मार्ग निर्माण का नहीं निर्वाण का मार्ग है। उक्त उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में शुक्रवार को महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में धर्मसभा को सांबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि भवनों से निर्वाण नहीं होता भावनाओं से निर्वाण होता है। भावनाएं भव नाशिनी होती है। धर्म के पालने में हम सभी पल रहे हैं, आत्मा का स्वभाव ही धर्म नहीं सहज सरल भावों के साथ की गई क्रियाएं ही सच्चा धर्म है। जिस तरह अग्नि का स्वभाग ऊष्ण है, जल का स्वभाव शीतल है, उसी प्रकार धर्म का स्वभाव सहज, सरल परिणाम है। उन्होंने कहा कि धर्म हमें अपने जीवन में यही सीख देता है कि जहां इंसान-इंसान आपस में हिल-मिलकर रहते हों, आपस में उनका बैर-विरोध न हो, एक-दूसरे से ईष्र्या न करते हों यहीं से तो धर्म की शुरुआत होती है। अगर प्रेम, मैत्री, सदभावना के सदगुण हममें है तो समझ लेना कि धर्म का हमारे जीवन में प्रवेश हो चुका है। धर्म इंसान को कभी तोडने-अलग करने, आपस में लडने का पाठ नहीं पढ़ाता, धर्म तो लोगों को जोडने का पाठ पढ़ाता है। धर्म तो समाज को आपस में करीब लाने का, परिवार को आपस में जोडने का पाठ पढ़ाता है।
इन्द्रों ने भगवान जिनेन्द्र का किया अभिषेक, हुई शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ का जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर ज्ञानचंद जैन, सुरेश कुमार जैन, दीपक जैन, कल्लू जैन परिवार ने की शांतिधारा कर महाआरती उतारी। मुनि को शास्त्र भेंट समाज जनों ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन ज्ञानचंद जैन (पोरवाल), सुरेश कुमार जैन, दीपक जैन, कल्लू भिण्ड परिवार द्वारा किया गया।
भक्ताम्बर महामण्डल विधान में पूजन के साथ चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में ज्ञानचंद जैन (पोरवाल) भिण्ड एवं सुरेश कुमार जैन, दीपक जैन, कल्लू परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।