प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए : मधुर शर्मा

रूरई में खेड़ापति हनुमान मन्दिर पर चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 12 जून। दबोह नगर के समीप ग्राम रूरई के खेड़ापति हनुमानजी मन्दिर परिसर में जन सहयोग से चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में कथा व्यास मधुर शर्मा रूरई श्रीधाम वृंदावन ने भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं, उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है, उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कल्यवान का वध, उद्धव गोपी संवाद, ऊद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण कराया गया।
कथा वाचक मधुर शर्मा ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है, यदि कोई कमी रहती है तो वह मात्र संकल्प की होती है, संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारासलीला, उद्धव चरित्र, श्रीकृष्ण मथुरा गमन और रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत रूप से कथा सुनाई।

अंतिम दिन सुदामा चरित्र की कथा में उन्होंने कहा कि संसार में मित्रता श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए, सुदामा के आने की खबर मिलने पर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे, पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए, अर्थात श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया, परंतु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुख हुआ है कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए, आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक-दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर वे भूल जाते है, जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। इसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रृद्धालु भावविभोर हो गए। इस मौके पर कृष्ण-सुदामा मित्रता की एक झांकी बच्चों द्वारा लगाई गई। भागवत कथा में परीक्षित स्वयं खेड़ापति हनुमानजी को बनाया गया है।
हनुमान जी को लगाया गया छप्पन प्रकार का भोग
ग्राम रूरई में खेड़ापति हनुमानजी मन्दिर पर फूल मालाओं से फूल बगला सजाया गया औा हनुमानजी को छप्पन प्रकार का भोग लगाया गया। इसके बाद वह भोग सभी श्रृद्धालुओं में वितरित किया गया। इस भागवत कथा में सातों दिन चले भण्डारे को ग्राम रूरई के लोगों ने अपने-अपने मोहल्लों के नाम से प्रीतिदिन कराया। साथ ही संतों, ब्राह्मणों को दक्षिणा दी गई।