विपत्ति में साथ न छोडऩे वाला ही सच्चा मित्र होता है : परमानंद महाराज

भिण्ड, 22 मई। लहार तहसील के गेंथरी-बेलमा गांव में गौंड़ बाबा मन्दिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को कथा व्यास पं. परमानंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की कथा सुनाई।
कथा के दौरान परमानंद महाराज ने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए, मित्र एक-दूसरे के पूरक होते हैं। भगवान कृष्ण ने अपने वचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे, लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा। उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है, सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा अर्थात नि:स्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रृद्धालुओं ने नृत्य भी किया।
कथा व्यास परमानंद महाराज ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण करने से मन और आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है, भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है। मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे, जो मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे। भागवत कथा के पारीक्षत स्वयं गौंड़ बाबा महाराज बने हैं।