ओलावृष्टि राहत राशि व फर्जी कोटवारों के भुगतान में प्रशासन कर रहा है लीपा पोती

राशि जमा कराकर चहेतो को बचाकर मामले को दबाने का किया जा रहा है प्रयास

गोहद/भिण्ड, 03 सितम्बर। अन्नदाता के खेतों में पड़ी प्राकृतिक मार में शासन मुआवजा देकर राहत देने का प्रयास करती है, वही दूसरी तरफ विभागों में बैठे भ्रष्ट कर्मचारियों को केवल अपनी जैबें गर्म करने से मतलब है। उनको अन्नदाता की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। ऐसा ही एक मामला गोहद विधानसभा में समाने आया है, जिसमें ओलावृष्टि के समय ओला पीडि़तों को दी जाने वाली राहत राशि का करोड़ों रुपए अन्य लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। दूसरे घोटाले में तहसील में फर्जी कोटवारों के नाम से वेतन डालकर शासन के राजस्व को लाखों रुपए का चूना लगाया गया है। यह दोनों मामले सामने आने के महीनों बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ढील के चलते कई दोषियों के नाम सामने आने के बाद भी शासन के कोष में राशि जमा कराकर मामले में लीपापोती कर चहेतों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। ओलावृष्टि में दो पटवारियों पर प्राथमिकी दर्ज कराकर प्रशासन ने इतिश्री कर ली। बल्कि जिन लोगों के खातों में ओला पीडि़तों का पैसा ट्रांसफर हुआ था उनमें से बहुत से लोगों के कांग्रेस पार्टी व भाजपा पार्टी के नेताओं से मधुर संबंध हैं, शायद इसी कारण प्रशासन राशि जमा करकर मामले को दबाने का प्रयास कर रहा हो।
ज्ञात हो कि गोहद अनुविभागीय क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों से ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों का शासन द्वारा स्वीकृत पैसा षड्यंत्रकारी तरीके से पटवारी व ट्रेजरी बाबू ने मिलीभगत करकर अपने चहेतों के खाते में ट्रांसफर करा दिया। तहसील कार्यालय में दूसरा एक ओर घोटाले सामने आया है, जिसमें फर्जी कोटवारों की नियुक्ति कर उनके नाम से हर महीने वेतन जारी करना स्पष्ट हुआ है। एसडीएम शुभम शर्मा की संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने नायब तहसीलदार निशिकांत जैन को जांच सोपी जिसमे रामौतार, विजय सिंह, राजकुमारी व भगवती के नाम से फर्जी कोटवारों की नियुक्ति कर प्रतिमाह परिश्रमिक का भुगतान कर शासन के राजस्व को लाखों रुपए का चूना लगाया गया। इस पूरे घोटाले में उपकोशालय गोहद में पदस्थ बाबू विकास ऋषीश्वर व कोटवार अफजल की सलिप्तता उजागर हुई है।

राशि जमा कराकर मामले का दबाने का किया जा रहा प्रयास

फर्जी कोटवारों के नियुक्ति के मामले में जांच टीम ने मामले से जुड़े फर्जी कोटवारों सहित तत्कालीन ऑफिस कानूनगो परशुराम लहरिया व नायब नाजिर अवध शर्मा सभी के बयानों में पैमेंट की अंतिम प्रक्रिया उपकोषालय में पदस्थ बाबू सहायक ग्रेड तीन विकास ऋषीश्वर द्वारा की जाने की बात कही गई। प्रशासन द्वारा मामले को दबाने के लिए गबन की गई राशि चालान के माध्यम से जमा कराई गई व दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। क्या राशि को पुन: शासन के कोष में जमा कराकर दोषियों को दोष खत्म हो जाएगा या भविष्य में इससे बेहतर षड्यंत्र बनाकर गवन करने का प्रयास किया जा सकता है।