चांद को नोटिस देना चाहिए

– राकेश अचल


चांद का नाम चांद नहीं है, शशि, निशापति, राजनीपति, कलाधर, मयंक, तारापति, दिद्जराज, सोम, हिमकर, शुभ्रांशु, शीतांशु, शीतगु, कुमुद, सुधाकर, राकेश, मृगांक, कलानिधि, इंदु, शशांक, विधु, शशधर, कौमुदिपति, अंशुमाली, नक्षत्रनाथ, नक्षत्रेश, द्दिज, अमृतरश्मि, अमृतांशु है। चन्द्रमा को चन्द्र, हिमांशु, सुधांशु, राकापति, शशि, सारंग, निशाकर, उडुपति, उडुराज, उदधिसुत, ओषधीश, कुमुदिनीपति, तारकेश, सारंग, विभाकर, क्षपाकर, क्षपानाथ, ग्रहराज, छायांक, तमोहर, तारकेश्वर, ताराधीश, तारानाथ, इंदु, चंदा, तुशाररष्मी, माहताब, मृगलाछन भी कहते हैं।
चन्द्रमा हिन्दू है, उसे ईद के दिन नहीं निकलना चाहिए। चन्द्रमा ईद के दिन निकला है इसलिए उसे सीबीआई को नोटिस देना चाहिए। दरअसल चन्द्रमा समुद्र मंथन से निकला है। हम उसकी पूजा करते हैं, अर्घ्य देते हैं। हमें उसकी सोलह कलाओं का पता है, इसलिए उसके ऊपर हमारा एकाधिकार है, कोई दूसरा उसे कैसे देख सकता है? मुसलमान तो हमारे चन्द्रमा को बिल्कुल नहीं देख सकते। उन्हें ईद मनाना है तो कुछ और देखकर मना लें। चन्द्रमा देखना जरूरी है क्या? हमारे चन्द्रमा को मुगलों ने चांद बना दिया, वरना वो तो अच्छा-खासा चन्द्रमा था, जिसके तमाम नाम मैंने आपको गिना ही दिए। जब हम देश से मुगलकाल को विलोपित कर रहे हैं तो क्या चन्द्रमा का नाम चांद विलोपित नहीं कर सकते?
हमने देश में तमाम शहरों, मुहल्लों, रेल स्टेशनों, इमारतों के नाम बदले हैं, तो क्या हम चन्द्रमा का नाम नहीं बदल सकते? बदल सकते हैं, इसके लिए शीघ्र ही एक राजाज्ञा राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। इसके अनुसार देश में कोई भी हमारे चन्द्रमा को चांद नहीं कहेगा, जब चन्द्रमा शर्मा, वर्मा, सक्सेना, श्रीवास्तव और पंडित, ठाकुर नहीं हो सकता तो उसे आप चांद खान कैसे कह और बुला सकते हैं। चन्द्रमा के साथ कोई छेड़छाड़ अब बर्दास्त नहीं की जाएगी। हम इसका विरोध करेंगे और कोशिश करेंगे कि चन्द्रमा ईद के दिन बिल्कुल न निकले। चन्द्रमा ने अगर जिद की तो हम नकली बादलों से उसे ढंक देंगे, लेकिन निकलने नहीं देंगे।
चन्द्रमा से हमारी सनातन रिश्तेदारी है, हम हमेशा से चन्द्रमा को अपना मामा कहते और मानते आए हैं। इस रिश्ते से न कभी हमारी अम्मा ने इंकार किया और न मामा ने। ईद मनाने वालों का चन्द्रमा से ऐसा कोई रिश्ता हो तो बताओ भला। चन्द्रमा को हमारे शंकर जी महाराज अपने शीश पर धारण करते है। आपके यहां ऐसा किसी ने किया, नहीं किया ना? उल्टे उन्होंने ईद की रात निकलने वाले चांद को मुहावरे में और तब्दील कर दिया। हमारा चन्द्रमा एक जीवित संज्ञा है। उसे राहु-केतु आज भी सताते हैं। हम आज भी चन्द्रमा के लिए ग्रहण वाले दिन प्रार्थना करते हैं। दूसरे लोग करते हैं। हमारी महिलाएं करवा चौथ के दिन चन्द्रमा को छलनी लगाकर देखती हैं, ईद वाले देखते हैं? नहीं देखते। वे उसे नंगी आंखों से देखते है। ये आम शिष्टाचार के खिलाफ है।
हम राम राज में रहते हैं, हमारा भारत खण्ड हिन्दू राष्ट्र है। यहां कोई चन्द्रमा को चांद नहीं कह सकत। ऐसा करना राष्ट्रद्रोह है, आतंकवाद है। जब तक हम हैं ऐसा नहीं होने देंगे। किसी सूरत में नहीं होने देंगे। हम अगला चुनाव ही इसी मुद्दे पर लड़ेंगे, हम इस मुद्दे को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करेंगे। हम अगर सत्ता में आए तो आपको दिखा देंगे कि चन्द्रमा को कोई चांद नहीं कह पाएगा। हमने जो कहा सो किया। हम हैं तो सब मुमकिन है। हमने आबादी के मुआमले में मुल्क को नंबर एक बनाकर दिखाया या नहीं? हम चन्द्रमा को भी हिन्दू बनाकर दिखा देंगे। ये हमारे दाएं हाथ का काम है। बाएं हाथ से हम दूसरे काम करते हैं।
बिना चन्द्रमा के यदि आपको ईद की मुबारकबाद चाहिए तो ले लीजिए, वरना आगे बढ़िय। हमारे पास और भी बहुत से काम हैं। ईद पर किसी के गले मत लगिए, जादू की झप्पी मत दीजिये, क्योंकि कोरोना फिर से ऊधम मचा रहा है। आप इसे किसी और चश्मे से मत देखिए। फिर आप देखना चाहें ने तो हम रोक भी नहीं सकते। हमारे देश में जम्हूरियत है, सब लोग आजाद हैं, आप भी आजाद हैं। हमारे मुल्क में आजादी न होती तो पुलिस अभिरक्षा में कोई गैंगस्टरों का काम तमाम कर सकता था भला। हत्याएं करने, कराने की आजादी भी आखिर एक नागरिक अधिकार है। कानून हमें हत्या करने से रोक नहीं सकता, हां बाद में सजाये मौत सुना सकता है। ऐसे में हमारे यहां सजाये मौत के तमाम शॉर्टकट मौजूद हैं। मुठभेड़ भी ऐसा ही एक तरीका है।
बहरहाल बात चांद उर्फ चन्द्रमा से शुरू हुई थी, इसीलिए उसे यहीं समाप्त कर देना चाहिए। रोजा रखने वालों और न रखने वालों को हम चांद का जिक्र किए बिना ईद की मुबारकबाद देते है। ऊपर वाले से कामना करते हैं कि वो नीचे सब कुछ ठीक-ठाक रखे।

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