खूजा, 24 मार्च। श्रीमद् भागवत कथा के महात्य पर प्रकाश डालते हुए कथा वाचक संत श्री अस्द्रावक्र जी महाराज ने कहा कि कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के माध्यम से ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता। भागवत कथा सात दिन तक श्रवण करने से व्यकि के सात जन्म के पाप घुल जाते हैं।
यहां बता दें कि ग्राम दिगुंवा में श्री हरिशंकरी महादेव मन्दिर पर नवरात्रि महोत्सव पर भागवत कथा का अयोजन किया जा रहा है। जिसमें पारीक्षत के रूप में श्रीमती बटन-बाबूलाल राजपूत बनाया गया है। आज कथा में जयप्रकाश राजपूत, पुष्पा-कमल सिंह राजपूत, हरिजन सिंह राजपूत, मुन्नालाल राजपूत, राजेन्द्र सिंह राजपूत, अमित राजपूत आदि ने आरती उतारी तथा प्रसाद वितरण किया।