@ राकेश अचल
कोई 26 साल पहले किस्मत से कहिये या लोकतंत्र का दुर्भाग्य कहिये, बिहार की मुख्यमंत्री बनीं श्रीमती राबड़ी देवी को आज तक सत्ता के कथित दुरूपयोग का हिसाब देना पड़ रहा है|सीबीआई ने होली पर राबड़ी देवी से नौकरी के बदले जमीनें हड़पने के आरोपों की जांच के सिलसिले में आठ घंटे तक पूछताछ की|सीबीआई केन्द्र का पालतू कहिये या फालतू कहिये, तोता है|जब केन्द्र कहता है बेचारा टांय-टांय करने लगता है, लेकिन मैं सीबीआई को कभी भुला-बुरा कहने से कतराता हूं|
लोकतंत्र की ये खूबी है कि उसमें आपको गड़े मुर्दे उखाड़ने की पूरी आजादी है| आप 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी से ही नहीं 1948 में शहीद हो चुके महात्मा गांधी से लेकर कभी सत्ता में नहीं आए राहुल गांधी तक से सवाल कर सकते हैं|सवाल करने की मुमानियत केवल प्रधानमंत्री जी और उनकी पार्टी के नेताओं से है, क्योंकि वे सब दूध से धुले होते हैं|सीबीआई की पूछताछ के बाद जरूरत पड़ने पर संबंधित को जेल यात्रा का सुअवसर भी मुहैया कराया जाता है|हाल ही में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ है|सीबीआई ने उन्हें कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया है|
घोटालों के आगे कथित मैं इसलिए जोड़ रहा हूं क्योंकि घोटाले होते हैं या नहीं ये तय करने में हमारी देश की अदालतों को युग लग जाता हैं|जब तक आरोपी सजा न पा लें तब तक वे कथित ही माने और जाने जाते हैं|श्रीमती राबड़ी देवी की बात करें तो वे देश की सबसे सौभाग्यशाली महिला हैं जो बिना किसी संघर्ष के बिहार की तीन मर्तबा मुख्यमंत्री बनीं|वरना एक बार मुख्यमंत्री बनने में ही जन्म बीत जाता है| गुजरात में मोदी जी ने एक महिला को अपना उत्तराधिकारी बनाया था लेकिन उन्हें बाद में मुख्यमंत्री के बजाय राज्यपाल बनना पड़ा|ममता बनर्जी जरूर अपवाद हैं जो सीबीआई के विरोध के बावजूद फिर मुख्यमंत्री बन गईं| वैसे बहुत से लोग तो मुश्किल से उप मुख्यमंत्री बन पाते हैं|हमारे मध्य प्रदेश में एक शिवभानु सिंह सोलंकी हुआ करते थे, मुख्यमंत्री बनने का सपना लिए ही स्वर्गवासी हो गए, वे मुख्यमंत्री से आगे बढ़े ही नहीं|
बहरहाल पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी के साहस की सराहना करना होगी कि वे सीबीआई की पूछताछ से न घबड़ाईं और न उनका रक्तचाप ऊपर-नीचे हुआ| वे कहती हैं कि हमारे यहां हमेशा सीबीआई आते रहती है| शुरुआत से ही ऐसा होता आया है| राबड़ी जी उच्च शिक्षित न होते हुए भी प्रशासनिक संस्कारों वाली महिला हैं| सचमुच सीबीआई बड़े और रसूखदार लोगों के यहां ही तो आती-जाती है|हम जैसे लोगों से सीबीआई को क्या लेना-देना?
सीबीआई के छापों और गिरफ्तारी के जरिये विपक्षी नेताओं को धमकाने-डराने की धार अब कमजोर हो गई है| लोग डरते ही नहीं हैं, सिवाय एक बहन मायावती के, कोई भी सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय की टीमों से डरता ही नहीं है| श्रीमती राबड़ी देवी से पूछताछ पर उनके बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जिस दिन हमारी महागठबंधन की सरकार बनी थी तब मैंने कहा था कि यह सिलसिला चलता रहेगा| अगर आप बीजेपी के साथ रहेंगे तो राजा हरीशचंद्र कहलाएंगे, लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है| बिहार की जनता सब देख रही है, 15 मार्च को सुनवाई है जो जमानत के लिए सामान्य प्रक्रिया है|
बिहार में भाजपा को सत्ताच्युत करने में जेडीयू के हमदम बने तेजस्वी यादव ने कहा कि महाराष्ट्र में जब शरद पवार के भतीजे (अजित पवार) बीजेपी में गए तो सारे केस वापस ले लिए गए| जब टीएमसी के मुकुल रॉय बीजेपी में गए, सारे केस वापस ले लिए गए| अगर आप बीजेपी को आईना दिखाएंगे तो यह छापेमारी तो होगी ही न ?
हाल ही में अपनी पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जेल भेजे जाने से कथित रूप से आहत आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि- ‘ये गलत है. विपक्ष के लोगों पर छापे मारना सही नहीं| मैंने कल कहा था कि यह ट्रेंड बन रहा है कि जिन राज्यों में विपक्ष है वहां उन्हें काम नहीं करने दिया जाएगा| विपक्ष को ईडी, सीबीआई या राज्यपाल के जरिए परेशान किया जाता है|’
अपनी मान और भाई के साथ इसी तरह की पूछताछ से दुखी कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि- ‘जो विपक्षी नेता बीजेपी के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं, उन्हें ईडी-सीबीआई के जरिये प्रताड़ित किया जा रहा है| आज राबड़ी देवी जी को परेशान किया जा रहा है| लालू जी व उनके परिवार को वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है, क्योंकि वे झुके नहीं| बीजेपी विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है|’लालू जी सचमुच भाजपा के सामने झुके नहीं, सजा भुगत रहे हैं, जेल हो आये लेकिन भाजपा का विरोध करना और कांग्रेस का साथ देना नहीं छोड़ा|इस मामले में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के असली अनुयायी निकले|उनके साथी नीतीश कुमार तक कुछ समय के लिए भाजपा के साथ हो गए थे, लेकिन लालू जी नहीं डिगे|अंगद का पैर निकले|
महजे की बात ये है कि सीबीआई ‘कोरी की मार कडेरे’ पर दे रही है क्योंकि जिस मामले में श्रीमती राबड़ी देवी से पूछताछ की जा रही है उसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है| दरअसल ये मामला लालूप्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन देकर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिए जाने से संबंधित है| ये मामला तब का है जब लालूप्रसाद 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे|सीबीआई में कूबत नहीं है कि वो ऐसे ही दुसरे मामलों में हाथ दाल सके|मध्य प्रदेश में आज की सरकार में शामिल लोग धड़ल्ले से सरकारी जमीने अपने और अपने ट्रस्टों के नाम कराने में लगे हैं, लेकिन मजाल कि कोई हाथ पकड़ ले|
सीबीआई की इस छापेमारी को मै होली का हुड़दंग मानता हूं|गनीमत है कि सीबीआई ने राबड़ी जी के घर की तलाशी नहीं ली|इतना सौजन्य क्या कम है भाई ! अन्यथा सीबीआई चाहती तो राबड़ी देवी का चूल्हा-चौका तक खंगाल सकती थी|होली के बाद किसका नंबर आएगा बताना कठिन है|किसी का भी नंबर आ सकता है|लिखने वालों का भी और पढ़ने वालों का भी|भाजपा का विरोध करने वालों का भी और देखने वालों का भी|लोकतंत्र में यदि ये सब न हो तो मजा ही नहीं आता| इन छापों से भाजपा के विरोधी कमजोर होंगे या ताकतवर ये तो खुद सीबीआई कोभी नहीं पता|ये जानने के लिए आपको इन्तजार करना पडे़गा|