यदि हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है तो शासन के खिलाफ एकजुट होकर खाड़ होना होगा

भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली 19 को दिल्ली में

भिण्ड, 15 दिसम्बर। आज किसान के सामने अपने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। यदि हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है तो शासन के खिलाफ एकजुट होकर खाड़ होना होगा। इसलिए देश के किसानों से अपील है कि अन्याय के विरुद्ध गरजते हुए 19 दिसंबर को सुबह 11 बजे रामलीला मैदान नई दिल्ली में भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में आयोजित किसान गर्जना रैली में बड़ी संख्या में एकत्र होकर किसानों की संगठित शक्ति का परिचय दें। यह बात भारतीय किसान संघ के मध्य भारत प्रांत मंत्री कुलदीप सिंह भदौरिया, संभाग मंत्री रमेश बाबू चौधरी, जिला मंत्री ब्रजेश चौधरी ने प्रतीक्षा इंस्टीट्यूट हाउसिंग कॉलोनी भिण्ड में आयोजित प्रेस वार्ता में कही।
किसान संघ के पदाधिकारियों ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि किसानों ने अपने परिश्रम के बल पर देश का भण्डार भरने में कोई कमी नहीं रखी है। यह भारत के किसानों का ही पुरुषार्थ है कि खाद्यान्न, दलहन समेत अन्य उपज के लिए विदेशी आयात पर निर्भर रहने वाला भारत आज आत्मनिर्भर होकर विदेशों को निर्यात कर रहा है। कोरोना काल और अन्य संकटों के समय में तो हमने कई देशों को नि:शुल्क खाद्यान्न भेजकर अपनी सहृयता का परिचय भी दिया है। आज देश के भण्डार भरकर भी किसान बदहाल है। अतिवृष्टि, अनावृष्टि, प्राकृतिक आपदा, तूफान, महंगाई से बचाते हुए जब किसान अपनी उपज लेकर मण्डी में पहुंचता है, तो औने-पौने दामों पर बेचने के लिए विवश होता है। किसान को कड़ी मेहनत के बाद भी उसकी उपज का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है। आजादी के बाद से ही सरकारों की गलत नीतियों का दंश किसान झेलता रहा है। देश में पांच लाख किसानों को कर्ज में दबकर आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा है।
किसान नेताओं ने बताया कि जिन मांगों को लेकर दिल्ली में किसान गर्जना रैली का आयोजन किया जा रहा है, उनमें लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लागू कर इसको दिलाना सुनिश्चित करें। सभी प्रकार के कृषि जिंसों पर जीएसटी समाप्त हो। किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए। कृषि क्षेत्र में जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार करें और देसी गी पालकों को प्रति माह 1900 रुपए प्रति गाय प्रोत्साहन राशि दी जाए। सरकार द्वारा किसानों को दिए जाने वाले सभी प्रकार के अनुदान सीधे किसानों के खाते में दिए जाए। कृषि बीमा पॉलिसी को सरल कर किसान हितैषी बनाया जाए। देश में कृषि उत्पाद को देखते हुए आयात निर्यात नीति को बनाया जाए।