परेड जैन मन्दिर पुस्तक बाजार में हुई आचार्यश्री की धर्मसभा
भिण्ड, 05 दिसम्बर। मनुष्य के जीवन में आज सबसे बड़ी दौलत धन और वैभव होता है, जबकि सबसे बड़ी दौलत परिवार है। परिवार है तो आपकी धन, दौलत, वैभव का महत्व है। यदि परिवार सुख शांति में है तो आप भी चैन से जी पाएंगे। परिवार प्रसन्न है तो आपका मन प्रसन्न रहता है, यदि परिवार खिन्न है तो मन को सुकून नहीं मिलता। यह उद्बोधन नगर के परेड जैन मन्दिर पुस्तक बाजार में आचार्य विमर्श सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिया।
आचार्यश्री ने कहा कि अपने जीवन में परिवार, समाज और धर्म को हमेशा साथ लेकर चलना चाहिए। सबसे पहिले परिवार होता है, परिवार में सबसे बड़ी चुम्बकीय शक्ति आत्मीयता होती है। परिवार में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। आज यदि आपके परिवार में कोई वृद्ध हो जाए तो आप उनकी कोई कद्र नहीं करते। आपके हाथ में पांच अंगुलियां हैं, आपको कौन सी अंगुली अधिक उपयोगी लगती है। जिस प्रकार आप अपनी किसी अंगुली को खोना नहीं चाहते, उसी प्रकार परिवार के सभी सदस्यों से आपके परिवार की पूर्णता होती है। 100 रुपए के दो नोट मिलकर 200 हो जाते हैं आप भी परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने परिवार की प्रतिष्ठा बनाकर रखें।







