शिक्षक धीरज सिंह गुर्जर को मिली पी-एचडी की उपाधि

भिण्ड, 22 अक्टूबर। नगर के शा. उत्कृष्ट उमावि क्र.एक में पदस्थ राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित शिक्षक धीरज सिंह गुर्जर को हिन्दी विषय में जीवाजी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी (पी-एचडी) की उपाधि प्रदान की गई है। धीरज ने जीवाजी विश्वविद्यालय से शा. केआरजी कॉलेज ग्वालियर की प्राध्यापक डॉ. सुधा कुशवाह के मार्गदर्शन में ‘वर्तमान समाजार्थिक परिवेश में रामचरितमानस में चित्रित मूल्यों की प्रासंगिकता’ विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया था।
गुर्जर ने बताया कि बचपन से ही उनकी मानस में रुचि रही है, हमारी सनातन भारतीय संस्कृति के अनुसार आज जिस आचार-विचार, व्यवहार-बर्ताव, रहन-सहन, प्रेम-दया-करुणा, सहयोग, त्याग-संयम-परोपकार और सामाजिक समरसता की जरूरत है, वे सभी बातें आदर्श रूप में रामचरितमानस में उल्लिखित है। आज का मानव इन मूल्यों से भटक रहा है, इसीलिए पारिवारिक विघटन, वैमनस्यता, आपसी कलह और क्लेश जैसी स्थितियां सनाज में निर्मित हो रही हैं। आज का समाज आस्था संकट, मूल्यहीनता और नैतिक पतन के दौर से गुजर रहा है। भौतिक चकाचौंध और विलासिता की अंधी दौड़ में अपने शाश्वत मूल्यों को भुला बैठा है, उनकी पुनस्र्थापना करना जरूरी है, तभी समाज और व्यक्ति सुखी रह सकता है। जीवन मूल्यों का प्रयोजन जीवन की सार्थकता और सफलता के लिए अनिवार्य है क्योंकि मूल्यों को अपनाए बिना व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है। आज के परिवेश में बिखरते-टूटते परिवार, पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-भाई के बीच बढ़ता तनाव, वैमनस्यता, भ्रष्टाचार, दुष्कृत्य, धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। रामचरितमानस के माध्यम से मूल्यों की अवधारणा को वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में उद्घाटित कर जनमानस को समस्त बुराईयों से बचाया जा सकता है। मानस में उल्लिखित जीवन-आदर्श और उदात्त मूल्यों के अनुप्रयोग से सुंदर एवं सु:खद समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है। धीरज सिंह गुर्जर की इस उपलब्धि पर विद्यालय परिवार एवं इष्टमित्रों ने हर्ष व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।