सागर, 01 सितम्बर। विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट/ नवम अपर सत्र न्यायाधीश सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा के न्यायालय ने अपचारी बालक को दो वर्षीय नाबालिग अभियोक्त्री के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा से दण्डित करने का आदेश दिया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक/ अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह तारन ने की।
मीडिया प्रभारी/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार मामला इस प्रकार है कि एक अगस्त 2017 को 3.45 बजे के लगभग पीडि़ता के पिता ने थाना मोतीनगर सागर में देहाती नालसी लेख कराई कि 31 जुलाई 2017 की रात को वह अपनी पत्नी, बच्चों सहित सोया था, टपरिया के बाहर उसके पिता सो रहे थे, उसकी दो वर्षीय छोटी बच्ची अभियोक्त्री उसकी लड़की के साथ सो रही थी। उसकी दो वर्षीय लड़की अभियोक्त्री को कोई अज्ञात व्यक्ति उठा कर ले गया है। घटना की पड़ताल के दौरान फरियादी के पिता ने बताया कि लाल रंग के कपड़े पहने हुए कोई जाता हुआ दिखाई दिया था। पीडि़ता के परिजनों एवं मोहल्ले के लोगों की मदद से पीडि़ता को तलाश किया गया, तब पीडि़ता पहाड़ी पर मिली जो खून से लथपथ थी। जिसे इलाज हेतु अस्पताल पहुंचाया गया। फरियादी की रिपोर्ट के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान पीडि़ता का मेडीकल परीक्षण कराया गया। पीडि़ता के पिता, मां, दादा, बहन व अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। साक्षीगण के कथन के आधार पर अपचारी बालक को तलाश किया गया, जिसे मुखबिर की सूचना व जनता की मदद से गिरफ्तार किया गया। घटना स्थल से जब्त की गई वस्तुओं को परीक्षण हेतु एफएसएल भेजा गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण को चिन्हित एवं जघन्य सनसनीखेज प्रकरण की श्रेणी में रखा गया। न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिनसे अपचारी बालक द्वारा अभियोक्त्री के साथ दुष्कर्म करना प्रमाणित पाया गया। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित पाए जाने पर न्यायालय ने अपचारी बालक को धारा 366 भादंवि के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा धारा 376(2) भादंवि के तहत आजीवन कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने से दण्डित करने का दण्डादेश पारित किया है। अपचारी बालक की उम्र 16 वर्ष से अधिक व 18 वर्ष से कम है।